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हिमाचल प्रदेश में फिर होगी बंदरों की गिनती

                                                           साल 2024 की रिपोर्ट नामंजूर

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश में फिर बंदरों की गिनती होगी। यह जून में होगी। विभाग ने वर्ष 2024 में भी गणना करवाई थी। इस पर सवाल उठने के कारण स्वीकृत नहीं किया गया। 

रिपोर्ट में जो आंकड़े थे, वे अपेक्षा से कहीं अधिक थे। अब दोबारा से गिनती करवाई जाएगी। वन विभाग हर चार साल बाद बंदरों की गिनती करता है। 2019-2020 की रिपोर्ट में प्रदेश में बंदरों की संख्या 1,36,443 का अनुमान था।प्रदेश में बंदरों की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि लोगों के लिए खतरा बन गए हैं। सरकार ने 2006 से बंदरों की नसबंदी कार्यक्रम शुरू किया। अब तक प्रदेश में कुल 1.86 लाख बंदरों की नसबंदी की जा चुकी है। हालांकि, समस्या पूरी तरह खत्म नहीं हुई। वर्तमान में प्रदेश के विभिन्न जिलों में आठ नसबंदी केंद्र संचालित हो रहे हैं। केंद्र शिमला के टुटीकंडी, हमीरपुर के सस्तर, कांगड़ा के गोपालपुर, ऊना के बौल और ईसपुर, सिरमौर के पांवटा साहिब, चंबा के सरोल और मंडी के सलापड़ में हैं। नसबंदी परियोजना के बावजूद प्रदेश में बंदरों की संख्या बढ़ रही है।


इससे लोगों पर होने वाले हमलों की संख्या भी बढ़ रही है। राजधानी शिमला में हर महीने बंदरों के काटने के 60 से 70 मामले सरकारी अस्पतालों में आ रहे हैं। सरकार ने बंदरों को पकड़ने के लिए प्रोत्साहन राशि भी तय कर रखी है। प्रति बंदर 700 रुपये दिए जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति किसी विशेष क्षेत्र में 80 फीसदी बंदरों को पकड़ने में सफल होता है, तो उसे 1,000 रुपये प्रति बंदर तक की राशि दी जाती है। बंदरों को मानव बस्तियों से दूर रखने के लिए सरकार ने उनके प्राकृतिक आवास में फलदार पौधे लगाने की योजना भी बनाई है।डीएफओ वन्य जीव शाहनवाज भट्ट ने बताया कि नए सिरे से गिनती करने से बंदरों की वास्तविक संख्या का पता चलेगा और इसके आधार पर नसबंदी, पुनर्वास और राहत कार्यों की योजना अधिक प्रभावी ढंग से बनाई जा सकेगी। पिछली रिपोर्ट को विभाग से अनुमोदन नहीं मिला था। जून में नए से गिनती की जाएगी।


 


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