नई ऊर्जा नीति लागू करने को पलटा पूर्व सरकार का फैसला
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश ओपन प्लेसेस (प्रिवेंशन आफ डिस्फिगरमेंट) एक्ट 1985 के प्रावधानों को शेष शहरी स्थानीय निकायों में लागू करने का निर्णय लिया।
इनमें 7 नगर निगम, 17 नगर परिषद और 23 नगर पंचायत शामिल हैं। इसका उद्देश्य सार्वजनिक स्थलों के विकृतिकरण को रोकना है, जिसके तहत भवनों, दीवारों, वृक्षों और अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों पर नोटिस, चित्र या संकेतों जैसे विज्ञापनों के प्रदर्शन को नियंत्रित किया जाएगा।हिमाचल की नई ऊर्जा नीति का पालन करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने जयराम सरकार के समय हुआ बड़ा समझौता पलट दिया है। हिमाचल की शर्तों पर काम करने के लिए कि सरकार ने एसजेवीएन और एनएचपीसी को पेशकश भी की थी। केंद्र सरकार से सहयोग नहीं मिलने पर अब हिमाचल सरकार ने एसजेवीएन और एनएचपीसी से पांच बिजली परियोजनाओं को वापस लेने का फैसला ले लिया है।
परियोजनाओं पर हुए निवेश की जांच का भी एलान कर दिया है। हिमाचल सरकार इन दोनों बिजली कंपनियों के साथ दोबारा कार्यान्वयन समझौता करना चाहती थी। सरकार का तर्क था कि पूर्व सरकार ने प्रदेश के हितों के खिलाफ जाकर समझौता किया।इस बाबत 30 सितंबर 2024 को जारी अधिसूचना के तहत एसजेवीएन को कार्यान्वयन समझौते (आईए) पर हस्ताक्षर करने तथा एनएचपीसी को संशोधित नियमों और शर्तों के साथ पूरक आईए पर हस्ताक्षर करने पर जोर दिया गया था। बिजली कंपनियों ने इस पर सकारात्मक जवाब नहीं दिया। हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने इन परियोजनाओं को लेकर पूर्व सरकार के समय हुए समझौतों पर सवाल उठाते हुए कुछ संशोधन किए हैं। इस पर केंद्र सरकार ने आपत्ति जताई है।
इसी कड़ी में मार्च 2025 में केंद्रीय ऊर्जा सचिव पंकज अग्रवाल ने प्रदेश के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को पत्र भेजकर एसजेवीएन और एनएचपीसी के साथ पूर्व में सहमत हुई मूल शर्तें बहाल करने को कहा गया था। ऐसा नहीं करने पर हिमाचल सरकार को ब्याज सहित खर्च की गई राशि लौटाने को कहा था।बिजली कंपनियों का दावा है कि परियोजनाओं पर 3,397 करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है। सरकार का कहना है कि 1,400 करोड़ से ज्यादा खर्चा नहीं हुआ है।
0 Comments