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सेलफोन, चार्जर अलग-अलग उपकरण,जानिए पूरा मामला

                                           5 फीसदी के बजाय 13.75 फीसदी वैट सरकार को देने का फैसला

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सेलफोन और बैटरी चार्जर को अलग-अलग मानते हुए 5 फीसदी के बजाय 13.75 फीसदी वैट सरकार को देने का फैसला सुनाया है। 

न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने कहा कि सेलफोन चार्जर एक सहायक उपकरण है, न कि फोन का भाग है। खंडपीठ ने हिमाचल कर न्यायाधिकरण धर्मशाला के उस फैसले को खारिज किया है, जिसमें मोबाइल बैटरी चार्जर को 13.75 फीसदी कर के बजाय 5 प्रतिशत कर योग्य माना गया था।खंडपीठ ने फैसले में कहा कि कर न्यायाधिकरण ने निर्णय सुनाते हुए हिमाचल प्रदेश वैट अधिनियम 2005 की अनुसूची-ए के भाग-II ए की सूची में 60(एफ)(vii) की अनदेखी की गई है। इस अनुसूची में मोबाइल चार्जर और अन्य सहायक उपकरणों को शामिल नहीं किया गया है। अदालत ने कहा कि चार्जर सेलफोन का सहायक उपकरण है, न कि सेल फोन का हिस्सा है। बैटरी चार्जर को सेलफोन का संयुक्त हिस्सा नहीं माना जा सकता है, बल्कि यह एक स्वतंत्र उपकरण है। इसे सेलफोन के बिना अलग से भी बेचा जा सकता है। अदालत ने सरकार की सिविल पुनरीक्षण याचिका को स्वीकार करते हुए कर न्यायाधिकरण के निर्णय को निरस्त किया है, जिसमें बैटरी चार्जर को सेल फोन का हिस्सा माना गया है।


सरकार ने हिमाचल कर न्यायाधिकरण न्यायालय धर्मशाला के 9 जून 2022 के निर्णय को चुनौती दी थी। सरकार की ओर से महाधिवक्ता अनूप रतन ने इस मामले में बहस की। उन्होंने अपनी दलीलों में कहा था कि कर न्यायाधिकरण की ओर से हिमाचल प्रदेश वैट अधिनियम 2005 में संलग्न अनुसूचियों में निर्धारित दरों को दरकिनार किया गया है। कर न्यायाधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से नोकिया इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मामले में दिए गए निर्णय की गलत व्याख्या की। पारित आदेश वैट अधिनियम में निर्धारित कानून के प्रावधानों और नोकिया इंडिया के मामले में सर्वोच्च न्यायालय की ओर से निधार्रित कानून के विपरीत हैं। कर न्यायाधिकरण ने मोबाइल बैटरी चार्जर को 13.75 प्रतिशत के बजाय 5 प्रतिशत कर योग्य माना है, जो कि न्यायसंगत नहीं है।अतिरिक्त महाधिवक्ता सुशांत कपरेट ने कहा कि हाईकोर्ट का यह निर्णय बैंचमार्क है। इससे प्रदेश के राजस्व में बढ़ोतरी दर्ज होगी। राज्य सरकार की ओर से यह पुनरीक्षण याचिका हिमाचल प्रदेश कर न्यायाधिकरण धर्मशाला यानी शिमला स्थित शिविर की ओर से पारित 9 जून 2022 के आदेश के विरुद्ध दायर की गई थी।

इसके तहत न्यायाधिकरण ने प्रतिवादी की ओर से दायर अपील को स्वीकार कर लिया है और कर निर्धारण प्राधिकारी-सह उप आबकारी एवं कराधान आयुक्त की ओर से वित्तीय वर्ष 2013-14 और 2014-15 के लिए पारित वर्ष 2015 के कर निर्धारण आदेश को खारिज कर दिया है।माइक्रोमैक्स इन्फॉरमेटिक्स लिमिटेड की ओर से दलीलें दी गईं कि आबकारी एवं कराधान आयुक्त ने 1 अप्रैल 2014 से 31 मार्च 2016 की अवधि के दौरान खुदरा पैक में सेलफोन के साथ बेचे गए सेलफोन चार्जर की बिक्री पर हिमाचल प्रदेश वैट अधिनियम के तहत ब्याज सहित 24,52,973 रुपये की अंतर वैट दिया है। प्रतिवादी ने पहले ही सेलफोन पर लगाए गए 5 प्रतिशत की दर से वैट जमा कर दिया था। इसके अलावा उन्होंने 30 नवंबर 2015 के कार्यालय ज्ञापन का भी हवाला दिया, जिसके तहत सरकार ने स्पष्ट किया था कि मोबाइल चार्जर को मोबाइल के साथ आपूर्ति करना अनिवार्य माना जाना चाहिए। साथ ही उसी दर से शुल्क लगेगा, जिसके तहत राज्य को सलाह दी गई थी। इसमें कहा गया है कि अगर सहायक उपकरण को बंडल करके एक साथ बेचा जाता है तो उसे मुख्य वस्तु का हिस्सा माना जाए।


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