हरी और काली इलायची के दाम बढ़ने से बिगड़ा जायका
ऊना,ब्यूरो रिपोर्ट
सब्जी और फलों के बाद अब मसालों की कीमत भी बेकाबू होती नजर आ रही है। हरी और काली इलायची की कीमतों में अचानक आया उछाल आम उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा असर डाल रहा है।
हरी इलायची जनवरी में 10 रुपये प्रति 10 ग्राम के हिसाब से बिक रही थी, अब 50 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई है। वहीं काली इलायची, जिसकी कीमत पहले लगभग 1000 रुपये प्रति किलो हुआ करती थी, अब 2500 रुपये प्रति किलो के आसपास बिक रही है। मसालों की इस महंगाई ने आम आदमी की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। इलायची जैसे खास मसाले जो चाय, मिठाइयों और खास व्यंजनों में स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, अब आम आदमी की पहुंच से बाहर होते जा रहे हैं। दाम बढ़ने के कारण उपभोक्ताओं की खरीदने में रुचि कम हो गई है। छोटी इलायची के केरल और तमिलनाडु राज्य प्रमुख उत्पादक हैं।
इसके साथ कर्नाटक में भी छोटी इलायची की खेती की जाती है। सिक्किम बड़ी इलायची का एक प्रमुख उत्पादक राज्य है। पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में भी बड़ी इलायची की खेती की जाती है। अरुणाचल प्रदेश में भी बड़ी इलायची की खेती की जाती है। इन राज्यों में इलायची की खेती के लिए अनुकूल जलवायु और मिट्टी की स्थिति होती है, जो इलायची के उत्पादन में मदद करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि उत्पादन में कमी जलवायु परिवर्तन, बारिश का न होना और बढ़ती लेबर कीमतें बढ़ने का प्रमुख कारण है।महंगाई के चलते उपभोक्ताओं को अब कम मात्रा में मसाले खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है। कुछ लोग तो सस्ते विकल्प तलाश रहे हैं, जिससे पारंपरिक स्वाद और खुशबू में भी कमी देखने को मिल रही है।
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