विरेंद्र सिंह की अदालत ने कहा कि आवेदक पर गंभीर आरोप लगाए गए
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने इंजीनियर विमल नेगी मौत मामले में पावर कॉरपोरेशन के निलंबित निदेश देश राज की ओर से दायर अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
अदालत ने कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए याचिकाकर्ता को साधारण पूछताछ के बजाय पुलिस हिरासत में पूछताछ करना ज्यादा उचित होगा। न्यायाधीश विरेंद्र सिंह की अदालत ने कहा कि आवेदक पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस वक्त इन्हें जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता। ऐसे मामलों में गवाहों को डराने-धमकाने का काम किया जा सकता है।राज्य सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता महेंद्र झराईक ने अदालत को बताया कि जांच में सामने आया है कि इंजीनियर विमल नेगी को कई-कई घंटों तक ऑफिस में बिठाया जाता था। आरोपी देशराज ने न कार्यालय में रिपोर्ट नहीं किया है और न ही उसका पता चल रहा है।
दूसरी ओर मृतक विमल नेगी की पत्नी की ओर से पेश अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि निलंबित निदेशक देश राज, पूर्व प्रबंध निदेशक हरिकेश मीणा और निदेशक शिवम प्रताप की ओर से गलत काम कराने के लिए पर भारी दबाव बनाया जा रहा था।उन्होंने कहा कि पेखूवाला प्रोजेक्ट जिसकी लागत 120 करोड़ थी, उसकी समय सीमा बढ़ाने के लिए इन्हें चेयरमैन भी बनाया गया। इसकी लागत को 220 करोड़ के करीब किया गया। उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट का 20 फीसदी पैसा जोकि सुरक्षित रखा जाता है,उसे भी दबाव बनाकर रिलीज किया गया। ऑडिट नोट में भी इसका खुलासा किया गया है। ये अधिकारी विमल नेगी पर गलत काम के लिए दबाव बनाते थे और उन्हें मानसिक तौर पर प्रताड़ित करते थे।
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