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नए सत्र से निजी स्कूलों की भी रैंकिग होगी,जानिए पूरा मामला

                                                           जीएसटी लागू होने से हिमाचल को घाटा

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र की सोमवार दोपहर बाद राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल के अभिभाषण के साथ शुरुआत हुई। डेढ़ घंटे के अभिभाषण में राज्यपाल ने जहां सरकार की उपलब्धियां गिनवाईं वहीं, केंद्र से जीएसटी की क्षतिपूर्ति नहीं मिलने से हो रहे वित्तीय नुकसान का भी जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि मेरी सरकार ने टेपरिंग राजस्व घाटा अनुदान के बावजूद पूंजीगत व्यय को कम नहीं होने दिया। राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों से लेकर कॉलेजों तक सभी शिक्षण संस्थानों की रैकिंग करने का निर्णय लिया है। हिमाचल पूरे प्रदेश में पहला राज्य है जहां सभी सरकारी शिक्षा संस्थानों की वार्षिक रैंकिंग की जा रही है। आने वाले वर्ष में निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों को भी इसमें शामिल किया जाएगा।राज्यपाल ने कहा कि सरकार ने महत्वपूर्ण छह चुनावी गारंटियां पूरी कर दी हैं। ओपीएस बहाली, महिलाओं को चरणबद्ध तरीके से 1500 रुपये प्रतिमाह सम्मान राशि, 680 करोड़ की राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना, सभी सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम, गाय और भैंस के दूध के खरीद मूल्य में ऐतिहासिक वृद्धि की है। इसमें गोबर खरीद भी शामिल है। एक दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण राज्य में पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं है, ऐसे में राज्य की निर्भरता केंद्रीय अनुदानों पर बहुत अधिक रहती है।


जीएसटी के लागू होने के बाद राज्य की केंद्र सरकार पर निर्भरता और अधिक बढ़ गई है। बहुत सारे कर जो पहले राज्य सरकार की ओर से लगाए जाते थे अब जीएसटी में समाहित हो गए हैं।राज्य को जीएसटी के लागू होने से भारी नुकसान हुआ है। इसकी भरपाई केंद्र ने जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में सिर्फ 5 साल तक ही की, जुलाई 2022 से बंद हो गई है। 15वें वित्तायोग ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अपनी अंतरिम रिपोर्ट में 11,431 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा अनुदान अनुशंसित किया था। यह अनुदान वर्ष 2022-23 के बाद प्रतिवर्ष तेजी से घट रहा है। वर्तमान वित्त वर्ष के लिए 6,258 करोड़ का राजस्व घाटा अनुदान अनुशंसित किया गया है और 15वें वित्तायोग के अंतिम वर्ष में 3,257 करोड़ रह जाएगा। पूंजीगत व्यय वर्ष 2020-21 के दौरान 5,309 करोड़, 2021-22 में 6029 करोड़ रुपये, 2022-23 में 6029 करोड़ और 2023-24 में 5,630 करोड़ रुपये था। वर्तमान वित्त वर्ष में 6,270 करोड़ रुपये का बजट अनुमान है जो यह दर्शाता है कि मेरी सरकार ने टेपरिंग राजस्व घाटा अनुदान के बावजूद पूंजीगत व्यय को कम नहीं होने दिया है।





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