प्रदेश खुद भी नई किस्मों की पौध की नर्सरी तैयार करेगा
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश में बिना प्रामाणिकता विदेशी सेब के पौधे नहीं बिकेंगे। प्रदेश खुद भी नई किस्मों की पौध की नर्सरी तैयार करेगा।
विधानसभा सदन में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक कुलदीप सिंह राठौर ने बिना क्वारंटाइन हिमाचल पहुंच रहे पौधों से वायरस फैलने का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि क्वारंटाइन की अवधि पूरी किए बिना प्रदेश में सेब के पौधे बेचे जा रहे हैं। साल 2023 में जम्मू-कश्मीर में इसी कारण स्कैब रोग फैला था। इससे वहां 40 फीसदी फसल खराब हो गई थी। राठौर ने सेब की आर्थिकी बचाने को किसी अंतरराष्ट्रीय नर्सरी कंपनी से करार करने का सुझाव भी दिया। जवाब में मंत्री ने कहा कि बाहरी देशों व राज्यों से आने वाले पौधों की पकड़ जारी है। बीते ढाई वर्ष में तीन लाख से अधिक पौधे नष्ट किए गए।कई गाड़ियों को इस दौरान पकड़ा गया। उन्होंने कहा कि क्वारंटाइन एक्ट भारत सरकार का है। पंजाब और उत्तराखंड में पौधे क्वारंटाइन हो रहे हैं। वहीं से प्रमाणपत्र दिए जा रहे हैं कि क्वारंटाइन अवधि पूरी हो गई है। हिमाचल में यह पौधे क्वारंटाइन नहीं हो रहे। ऐसे में सरकार ने फैसला लिया है कि अब पूरी जांच-पड़ताल के बाद प्रदेश में ही पौधों की प्रामाणिकता की जाएगी।
उन्होंने कहा कि बजौरा में विभाग ने नर्सरी स्थापित की है। यहां 50 हजार पौधे तैयार किए जा रहे हैं। इसी साल से यह पौधे 450 रुपये में दिए जाएंगे। 75 रुपये में सरकार रूट स्टॉक बेच रही है और 180 रुपये में फैदर प्लांट दिया जा रहा है। हाई डेनसिटी प्लांटेशन पर काम किया जा रहा है। विधायक बलवीर सिंह वर्मा ने कहा कि सेब में बीमारी लगने का डर बढ़ गया है। प्रदेश के छह जिलों में सेब रोजगार का मुख्य साधन है।विधानसभा सदन में बागवानी विश्वविद्यालय नौणी की कार्यप्रणाली पर भी खूब सवाल उठे। बागवानी मंत्री जगत सिंह ने कहा कि बागवानी विवि नई रिसर्च की जगह कॉपी-पेस्ट का काम कर रहा है। विश्वविद्यालय का गठन जिस उद्देश्य से किया गया था, वह काम नहीं हो रहा है। विवि की ओर से कोई भी नई पौध ईजाद नहीं की गई है। विवि प्रबंधन से जल्द ही बैठक कर अनुसंधान करने को कहा जाएगा। इस बाबत एक योजना पर भी सरकार काम कर रही है। विधायक कुलदीप सिंह राठौर ने कहा कि बागवानी विश्वविद्यालय एक सप्लायर की भूमिका निभा रहा है। नर्सरी के विकास के लिए विवि की स्थापना हुई थी लेकिन यह काम अब नहीं हो रहा।
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