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मानदेय में वृद्धि करने और नियमितीकरण के लिए नीति बनाने की उठाई मांग

                                                       चंडी स्वास्थ्य खंड की आशा वर्करों ने जताया रोष

सोलन,ब्यूरो रिपोर्ट 

 मुख्यमंत्री ने जो बजट पेश किया है, उसमें आशा कार्यकर्ताओं की अनदेखी की गई है। स्वास्थ्य खंड चंडी के तहत कार्यरत आशा कार्यकर्ताओं अंजू, सुरेखा, मीना, निशा, संतोष कुमारी, पूनम और मूर्ति ने बताया कि मात्र 300 रुपये मासिक मानदेय में बढ़ोतरी करना उनके साथ भद्दा मजाक है। 

उन्होंने कहा कि आशा वर्करों ने कोरोनाकाल में अपने परिवार को छोड़कर सेवाएं दी थीं। कभी भी सरकार को अपने कार्यों से नाखुश नहीं किया। हिमाचल में आपदा के समय सभी आशा कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर सरकार के राहत कोष में 1.25 लाख का सहयोग दिया। हिमाचल को टीवी मुक्त करने के लिए 100 दिनों के अभियान में आशाओं ने घर-घर जाकर लोगों के बलगम की जांच करवाई, एक्सरे करवाए और रोगियों के इलाज में पूर्ण सहयोग दिया। 


आशा कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत से आज मातृत्व और शिशु मृत्यु दर में बहुत कमी आई है। जबकि प्रदेश सरकार ने आशा वर्करों के कार्यों को अनदेखा किया। उन्होंने कहा कि मात्र 300 का मानदेय बढ़ाकर मजाक किया गया है। उन्होंने मांग उठाई कि महंगाई के अनुरूप उनके मानदेय में वृद्धि की जाए और नियमितीकरण के लिए नीति बनाई जाए।




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