स्नोर बदार की सात देवियां आपस में बहनें
मंडी,ब्यूरो रिपोर्ट
अंतरराष्ट्रीय मंडी महाशिवरात्रि महोत्सव में पहुंचे देवी-देवताओं का आपस में भी गहरा नाता है। स्नोर और बदार क्षेत्र की सात देवियां आपस में बहनें हैं। महाशिवरात्रि मेले में इन देवियों में से छह एक साथ विराजमान रहती हैं।
इन बहनों का ऋषि पराशर के साथ भी दादा-पोतियों का रिश्ता है। जन श्रुति के अनुसार माता मैहणी इन सात बहनों में सबसे छोटी हैं, लेकिन बहनों में उन्हें बड़ा दर्जा प्राप्त है। महाशिवरात्रि महोत्सव के दौरान देव पराशर की सात पोतियां आपस में मिलती हैं। यह भी मान्यता है कि स्नोर-बदार क्षेत्र में जहां पर भी इन देवियों का स्थान है, वहां पर पराशर झील का पानी निकलता है। इससे इन स्थानों का महत्व भी पराशर झील से कम नहीं है।पानी को लेकर उनके दादा पराशर ऋषि ने वरदान दिया है।
सात बहनें एक बार जंगल गई थीं। जंगल में एक तिल का दाना मिलने पर 6 बहनों ने उसे खा लिया और छोटी बहन को नहीं दिया। जब छोटी बहन को पता चला तो उसने तिल के दाने समेत बहनों की शक्तियां भी छीन ली थीं। इसके बाद बाकी बहनों ने छोटी बहन को मनाया और उसे सबसे बड़ा होने का दर्जा दिया। तब से उसे बड़ी बहन कहा जाता है। बूड़ी विचारण, कांढी घटासनी, सोना सिंहासन, देखी निसू पड़ासरी, देवी धारा नागन और मैहणी एक साथ पड्डल मैदान में बैठती है। माता बगलामुखी पड्डल मैदान में नहीं आती हैं।महाशिवरात्रि महोत्सव की शोभा बढ़ाने वाले देवी-देवताओं में स्नोर बदार की सात देवियों का भी विशेष स्थान है।
सभी देवियों का आपस में रिश्ता है। पराशर ऋषि से भी इन सभी सात बहनों (देवियों) का जुड़ाव है।मंडी शहर में बाबा भूतनाथ की जलेब निकली। संत महात्माओं समेत स्थानीय लोगों और देवी-देवताओं ने इसमें भाग लिया। जलेब में देव खाड्डू कासन स्नोर, देव पराशर ऋषि के द्वारपाल, देव गडोहणी, राज माता रिमझी महामाया भडयाल, उग्रतारा नैणा रिवालसर ने शिरकत की। जलेब बैंड-बाजे और देव वाद्ययंत्रों के साथ निकली। इस दौरान भूतनाथ के जयघोष से शहर गूंज उठा।
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