सड़क और अन्य सुविधाएं बेहतर करने का प्रावधान करे सरकार
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
प्रदेश के उद्योगपतियों को सरकार के बजट से कई उम्मीदें हैं। प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन के उद्योगपति सड़कों की हालत सुधारने और सेस को कम करने की आस लगाए हैं।
स्टील व धागा उद्योगों में सबसे खपत है। सरकार ज्यादा बिजली की खपत ने 50 पैसे प्रति यूनिट बिजली शुल्क कम करने का आश्वासन दिया है, मगर अभी तक कुछ नहीं हुआ। बीबीएन के उद्योगपति फोरलेन के कार्य में तेजी को लेकर भी बजट में खास प्रावधान की उम्मीद लगाए बैठे हैं। स्टील उद्योग संघ के प्रदेश महासचिव राजीव कुंडलस ने कहा कि उद्योगपतियों की बिजली के शुल्क कम करने व एजीटी समाप्त करने की मांग है। जब देश भर में जीएसटी लग गई है, दो एजीटी लगाने का कोई मतलब नहीं रहता। बीबीएनआईए के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने कहा कि बीबीएन की कनेक्टिविटी पूरी तरह से नहीं हुई है। हरियाणा में चरणिया व दभोटा में पुल अभी तक नहीं बन पाया है, जिससे कच्चा माल व तैयार माल लेने में दिक्कत होती है। बजट में इसके लिए अलग से फंड की घोषणा होनी चाहिए।बीबीएनआईए के मुख्य सलाहकार शैलेष अग्रवाल ने कहा कि नालागढ़-डेरोंवाल मार्ग डबल होना चाहिए।
मझोली से सुखबिलास तक मार्ग पंजाब की ओर से बन रहा है। हिमाचल की ओर से भी इसके लिए बजट दिया जाए। बीबीएन उद्योग संघ के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र गुलेरिया ने कहा कि बद्दी के साथ लगते हरिपुर व साई की पहाड़ियों पर प्लाट काट कर सरकार को उद्योगपतियों को अपने आवास बनाने के लिए देने चाहिए। जब वे यहां पर स्थाई रूप से बसेंगे तो यहां पर अच्छे स्कूल व स्वास्थ्य संस्थान भी बनेंगे। फूड उद्योग संचालक प्रदीप गर्ग ने कहा कि सरकार फूड प्रोडक्ट पर अलग-अलग रेट लगा रखे हैं। इससे काम करने में दिक्कत आ रही है। 25 किलो की पैकिंग पर टैक्स लगा रखा है और 25 किलो से ऊपर टैक्स नहीं है। सरकार से मांग है कि या तो सभी को टैक्स फ्री कर दें या सभी पर एक समान टैक्स लगाए।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने बजट में प्रदेश में व्यापार करने में सुगमता के लिए नीतिगत उपायों के एलान की उम्मीद जताई है। सीआईआई के अध्यक्ष दीपन गर्ग का कहना है कि हमें उम्मीद है कि बजट में उद्योगों के लिए बिजली दरों में कटौती और माल खुलाई की दरों के युक्तिकरण का एलान होगा। इसके अलावा प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए अनुकूल वातावरण और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए भी नई घोषणाएं होंगी। बिजली दरें ऐसी होनी चाहिए जो उद्योगों के परिचालन लागत को कम करे, उद्योगों की स्थिति में सुधार करे और नए निवेश को आकर्षित करे। कम से कम अन्य राज्यों के मुकाबले प्रतिस्पर्धी टैरिफ संरचना आवश्यक है। पूरे देश में जीएसटी लागू होने के बावजूद हिमाचल प्रदेश में अतिरिक्त वस्तु कर (एजीटी) और सीजीसीआर लगाया जाता है, जिससे उद्योगों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ रहा है, इसे जीएसटी में शामिल करने की घोषणा होनी चाहिए।
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