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हर क्षेत्र में नाम कमा रही हैं हिमाचल की महिलाएं

                                               घर से ही हो कुरीतियों को खत्म करने की पहल

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल की महिलाएं हर क्षेत्र में नाम कमा रही हैं। विपरीत परिस्थितियों में भी कई महिलाओं ने कड़ी मेहनत, लग्न और हौसले से देवभूमि का देश-दुनिया में नाम किया है। हालांकि, आज भी प्रदेश के ग्रामीण परिवेश में महिलाओं को कई दिक्कतों-रूढ़ियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन संघर्ष की मिसाल रहीं पहाड़ की महिलाएं निरंतर आगे बढ़ रही हैं। 

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर अमर उजाला के शिमला कार्यालय में आयोजित संवाद में विभिन्न क्षेत्रों में नाम कमा चुकी महिलाओं ने आधी आबादी के सशक्तिकरण के लिए संदेश दिया। उनका कहना है कि महिलाओं को शिक्षित हो रूढि़यों की जंजीर को तोड़ना होगा। घर से की जाए कुरीतियों को खत्म करने की पहल।जनवादी महिला समिति की राज्य सचिव फालमा चौहान ने कहा कि महिला सशक्तीकरण की सिर्फ बातें होती हैं। देश में बीते एक साल में घरेलू हिंसा के एक लाख, रेप के 32,000 और दहेज उत्पीड़न  के 8000 मामले दर्ज हुए हैं। असल में महिलाओं को दूसरे दर्जे की नागरिक माना जाता है। घर के भीतर, कार्य स्थल, हर जगह हिंसा हो रही है। अपना अधिकार पाने के लिए महिलाओं को एकजुट होना पड़ेगा।राज्य रेडक्रॉस सोसायटी की सचिव डॉ. किमी सूद ने कहा कि महिला सशक्तीकरण के लिए महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक तौर पर सशक्त करने की जरूरत है, लेकिन महिला स्वास्थ्य भी बेहद महत्वपूर्ण पहलू है।


 वैश्विक स्तर पर देखें तो स्वीडन और नार्वे में बेहतर शिक्षा व्यवस्था के कारण की कामकाजी महिलाओं का अनुपात विश्व भर में बेहतर है। सामाजिक बदलाव के लिए महिलाओं का पढ़ा लिखा होना जरूरी है। मां शिक्षित होगी तो बेटियों का बेहतर भविष्य बना सकेगी।शिमला नगर निगम की उपमहापौर उमा कौशल ने कहा कि एमसी में 24 महिला पार्षद हैं। ये सभी पार्षद अपने काम को लेकर गंभीर रहती हैं। महिला पार्षद जिस भी काम को शुरू करवाती हैं, उसे अंजाम तक पहुंचाती हैं। उन्होंने कहा कि मैं आज भी अपने घर का सारा काम स्वयं करती हूं। पुरानी कुरीतियों को अब खत्म कर देना चाहिए। जमाना बदल रहा है, महिलाओं के प्रति सोच को भी बदलना होगा। उन्होंने कहा कि लड़कों के मुकाबले लड़कियां अधिक आज्ञाकारी होती हैं। अब संस्कारों को साथ रखते हुए बदलाव की जरूरत है।राज्य सचिवालय सेवा से अधिकारी गीता शर्मा ने कहा कि हमने बंदिशों का समय देखा है। पहले बहुत कुछ सहना पड़ता था। 

पुराने अनुभवों ने साबित किया है कि जीवन में पढ़ाई सबसे जरूरी है। उन्होंने कहा कि अब बहू और बेटी में फर्क नहीं समझते। महिला सशक्तीकरण के लिए समाज के सभी वर्गों को एक साथ काम करने की आवश्यकता है। एक दिन महिला दिवस मनाने का कोई लाभ नहीं है अगर महिलाओं के प्रति किसी की नजर में सम्मान नहीं है। हर परिवार की यह जिम्मेवारी है कि संस्कार युक्त शिक्षा दें।राज्य सचिवालय की कबड्डी खिलाड़ी कृष्णा ठाकुर का कहना है कि खेलों में भी अब महिलाएं आगे हैं। सचिवालय में उन्होंने महिला कबड्डी टीम बनाई। कई राज्यों की प्रतियोगिताओं में भाग लेकर गोल्ड मेडल जीत कर प्रदेश का नाम रोशन किया है। अब सुपर मास्टर गेम को भी प्रोत्साहित कर रही हैं। 40 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं इस गेम में शामिल हो सकती हैं। रूढ़िवादी विचारों का अब समाज में कोई स्थान नहीं रह गया है। महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो गई हैं।



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