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आखिर क्यों? देव कमरूनाग सेरी चानणी में नहीं होंगे विराजमान

                                               देव कमरूनाग ने सेरी चानणी में बैठने के लिए साफ मना

मंडी,ब्यूरो रिपोर्ट 

मंडी महाशिवरात्रि महोत्सव में इस बार बड़ा देव कमरूनाग सेरी चानणी में अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए विराजमान नहीं होंगे। देव कमरूनाग ने सेरी चानणी में बैठने के लिए साफ मना कर दिया है। 

देवता ने अपने गूर और देवलुओं को साफ निर्देश दिए हैं कि वे राजदेवता माधो राय से मिलने के बाद वह टारना मंदिर में पूरे मेला के दौरान भक्तों को दर्शन देंगे। मेला समाप्त होने पर टारना मंदिर से सीधा यजमानों (भक्तों) के घरों में मेहमाननवाजी निभाएंगे। शिवरात्रि मेला में ऐसा पहली बार देखने को मिलेगा जब देवता सेरी चानणी में विराजमान नहीं होंगे।बड़ा देव कमरूनाग जनपद के सबसे बड़े देवता हैं। हर साल महाशिवरात्रि पर्व पर इनके छोटी काशी में प्रवेश करने से ही सभी कारज शुरू होते हैं। देवता अन्य देवताओं की भांति पड्डल मैदान के बजाय टारना मंदिर में विराजमान होते हैं। देव कमरूनाग चमड़े के वाद्य यंत्रों को बर्दाश्त नहीं करते हैं।


इसीलिए देवता टारना पहाड़ी पर अकेले रहना पसंद करते हैं। देवता से हजारों लोगों की आस्था जुड़ी है और देवता के मंडी आगमन का छोटी काशी के लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं।  शिवरात्रि महोत्सव के समापन वाले दिन देवता टारना से नीचे उतरकर कुछ देर के लिए सेरी चानणी में श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं।देव कमरूनाग को मंडी जिला में बारिश का देवता माना जाता है। जब भी किसानों-बागवानों को संकट आता है तो लोग देव कमरूनाग के दरबार पहुंच जाते हैं। देवता बारिश भी बरसाते हैं और मौसम भी साफ करते हैं।  जनपद के आराध्य देव कमरूनाग आगामी 17 फरवरी को छोटी काशी के महापर्व शिवरात्रि का आगाज करने मंडी रवाना होंगे। देवता 25 फरवरी को मंडी पहुंचेंगे और भगवान माधो राय से दिव्य मिलन करेंगे।


जिला प्रशासन ने बड़ा देव के स्वागत की तैयारियां पूरी कर दी हैं।बड़ा देव कमरूनाग के गूर देवी सिंह ने बताया कि मंडी शिवरात्रि के दौरान जिस भी घर में बड़ा देव मेहमाननवाजी को जाएंगे। वहां यजमान देवता के पहुंचने से पूर्व घर में हवन करवा लें। उन्होंने कहा कि यह देवता का आदेश है।देव कमरूनाग ने शिवरात्रि मेले के दौरान मंडी स्थित सेरी चानणी में मेला वापसी के दौरान विराजमान होने पर साफ मना कर दिया है। देवता ने अपने गूर और देवलुओं को निर्देश दिए हैं कि इस नियम का पालन अवश्य किया जाना चाहिए। लोग और भक्त देवता के दर्शन और उनका आशीर्वाद लेने टारना मंदिर ही पहुंचे।



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