भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस संबंध में मंथन कर रहा है
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश भाजपा में खेमों की खींचतान यूं ही चली रही तो डॉ. राजीव बिंदल को फिर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के रूप में कमान दी जा सकती है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस संबंध में मंथन कर रहा है।
संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया के बीच डॉ. राजीव बिंदल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से लगातार मिलते रहे हैं। दिल्ली में चुनाव प्रचार के दौरान भी वे उनसे संपर्क में रहे हैं। हालांकि त्रिलोक जम्वाल और राजीव भारद्वाज भी इस पद के प्रबल दावेदार हैं।बिंदल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के करीबी हैं। हालांकि प्रदेशाध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल नेताओं में से कई अन्य नेता भी नड्डा से नजदीकियां बनाए हैं। इस दौड़ में शामिल त्रिलोक जम्वाल तो नड्डा के सबसे निकट हैं, मगर यह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर निर्भर करेगा कि वे किसी नए चेहरे को चुनेंगे या दोबारा डॉ. बिंदल को ही अपना विश्वासपात्र बनाएंगे।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू तो बार-बार इस बात को दोहरा चुके हैं कि जयराम ठाकुर बिंदल को हटाने के अभियान में लगे हैं। हालांकि भाजपा के नेता बार-बार उन्हें सलाह दे रहे हैं कि वह भाजपा के बजाय सरकार का सोचें। जिला अध्यक्षों में से कई चेहरों को भी भाजपा ने रिपीट किया है। यह भी संगठन के पुराने नेताओं पर भरोसा करने का एक इशारा है।नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने इस संबंध में अभी पत्ते नहीं खोले हैं कि वे डॉ. बिंदल के अलावा किस और नेता को पार्टी अध्यक्ष बनाने के पक्ष में हैं। पर माना जा रहा है कि जयराम खेमे की च्वाइस कोई नया चेहरा भी हो सकता है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई हाल ही की मुलाकात को भी भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
पिछले दिनों प्रेस वार्ता में पूछे जाने पर खुद जयराम ने इस बात से इंकार नहीं किया है कि उन्होंने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से बात नहीं की।बिंदल जिस व्यवसायी समुदाय से संबंध रखते हैं, राज्य सभा सांसद हर्ष महाजन भी उससे ताल्लुक रखते हैं। दोनों ही नड्डा के करीबी हैं। इसलिए दोनों को एकमत करना आसान माना जा रहा है। कांग्रेस से भाजपा में गए छह पूर्व विधायकों के हर्ष महाजन के साथ अच्छे संबंध हैं। उन्हें भाजपा में मिलाने में हर्ष का बड़ा योगदान रहा है। उनकी क्रॉस वोटिंग से हर्ष अभिषेक मनु सिंघवी को हराकर राज्यसभा सांसद बने।
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