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पौंग डैम में पहुंचे मेहमान परिंदे,जानिए

                                              पौंग बांध झील में इस बार पहुंचे रिकाॅर्ड विदेशी परिंदे

काँगड़ा,ब्यूरो रिपोर्ट 

न अधिक ठंड और न ही ज्यादा गर्मी, इसके साथ ही डैम के जल स्तर में गिरावट से प्रचुर खाद्य पदार्थों की उपलब्धता। इस प्रकार का माहौल मिला तो पौंग डैम में मेहमान परिंदे खिंचे चले आए। पौंग डैम झील में पक्षियों की संख्या में इस साल रिकॉर्ड 83,555 की वृद्धि हुई है। 

प्रदेश के पौंग अभयारण्य में 2025 की वार्षिक जलपक्षी गणना में 97 प्रजातियों के 1,53,719 पक्षी दर्ज हुए, जो अब तक की सर्वाधिक संख्या है। फिछले वर्ष 70,164 पक्षी पहुंचे थे। पौंग डैम में रूस और साइबेरिया के अलावा हिमालय के उत्तर में स्थित पर्वत श्रृंखलाओं, तिब्बत और मध्य एशिया से पक्षी पहुंचे हैं। इस साल बार हेडेड गीज पक्षी की संख्या 53,458 से बढ़कर 90,959 पहुंच गई है। खास बात यह भी है कि इस बार पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियां ग्रेटर व्हाइट-फ्रंटेड गीज, लेसर व्हाइट-फ्रंटेड गीज, रेड क्रेस्टेड पॉचार्ड, फेरुगिनस पॉचार्ड, पाइड एवोसेट और नॉर्दर्न लैपविंग भी पौंग डैम क्षेत्र में पाई गई हैं।


1 फरवरी 2025 को पूरी हुई इस गणना में प्रदेश वन विभाग, मुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी, वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पक्षी प्रेमियों और स्थानीय लोग सहित 100 से अधिक विशेषज्ञों ने भाग लिया। वन विभाग धर्मशाला वन्यजीव वृत्त के सीसीएफ सरोज पटेल ने बताया कि पौंग डैम में अभयारण्य में की गई जलपक्षी गणना में 144,371 प्रवासी पक्षी (55 प्रजातियां), 7,382 स्थानीय पक्षी (31 प्रजातियां) और 1,966 अन्य पक्षी (11) प्रजातियां) पाए गए हैं। अन्य प्रमुख प्रजातियों में यूरोपीय कूट 10,785, कॉमन पॉचार्ड 9,692, कॉमन टील 8,497, नॉर्दर्न पिंटेल 8,053, लिटिल कॉर्पोरेंट 3,520, यूरेशियन विजन 3,464, पे लैग गीज 2,984, टफ्टेड पॉचार्ड 2,331, नॉर्दर्न शोवेलर 1,350 और ग्रेट कॉर्पोरेंट 1,271 शामिल हैं। वन विभाग ने मुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी, वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया सहित अन्य पक्षी प्रेमियों के सहयोग से पौंग डैम लेक वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी में वार्षिक जलपक्षी गणना की है। इस साल पौंग डैम में पक्षियों की संख्या में रिकार्ड वृद्धि दर्ज हुई है। झील के जल स्तर में गिरावट से पक्षियों को भरपूर भोजन मिलने से अधिक संख्या में पक्षी यहां पहुंचे और लंबे समय तक ठहरे।




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