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आखिर क्यों कुल्लू घाटी में विदेशी पर्यटकों की संख्या घटी

                                                    इस्राइल-हमास युद्ध से 90 फीसदी घटे विदेशी पर्यटक

कुल्लू,ब्यूरो रिपोर्ट 

रूस-यूक्रेन और इस्राइल-हमास युद्ध के चलते कुल्लू घाटी में विदेशी पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। 

पार्वती घाटी के कसोल, मनाली और बंजार जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों पर विदेशी सैलानियों की संख्या 90 फीसदी तक घट गई है। खासकर 2021 के बाद विदेशियों की पहली पसंद रही पार्वती घाटी के कसोल के साथ मनाली और बंजार घाटी में गिने-चुने सैलानी ही देखने को मिले।विदेशी सैलानियों में आई रिकॉर्ड कमी का असर न केवल कुल्लू बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश और देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। पहले इसका कारण कोविड-19 को माना जा रहा था, जिसने 2020 और 2021 में पर्यटन कारोबार को बुरी तरह प्रभावित किया। इसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध ने विदेशियों के भारत आने पर असर डाला।


2023 में इस्राइल-हमास युद्ध छिड़ने के बाद हजारों इस्राइली सैलानी अपने देश लौट गए, जिससे पर्यटकों की संख्या और घट गई।आंकड़ों के अनुसार 2016 से 2019 के बीच कुल्लू में करीब 4.49 लाख विदेशी पर्यटक पहुंचे थे, जबकि 2021 से 2024 तक यह संख्या मात्र 26,000 रह गई। इस गिरावट ने कुल्लू-मनाली, मणिकर्ण, कसोल, तीर्थन और बंजार घाटी के पर्यटन कारोबार को गहरा नुकसान पहुंचाया है। पर्यटन कारोबारी गजेंद्र ठाकुर, राजेंद्र प्रकाश और विजय सूद ने बताया कि कुल्लू, कसोल और मनाली में बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी आते थे, लेकिन 2020 के बाद इसमें भारी गिरावट आई है।उन्होंने कहा कि विदेशी पर्यटक भारतीय पर्यटकों की तुलना में अधिक दिनों तक रुकते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को अधिक लाभ होता था। अब पर्यटन उद्योग को इस संकट से उबारने के लिए नई रणनीति अपनाने की जरूरत है।




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