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प्रदेश में उद्योगों को फायर एनओसी की कड़ी शर्तों से मिल सकती है राहत

                मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने उद्योगपतियों के आग्रह पर राहत देने का आश्वासन दिया

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

प्रदेश में उद्योगों को फायर एनओसी की कड़ी शर्तों से राहत मिल सकती है। भारतीय उद्योग परिसंघ के वार्षिक अधिवेशन के दौरान मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने उद्योगपतियों के आग्रह पर राहत देने का आश्वासन दिया है।

मार्च में होने वाली बैठक में इसे लेकर फैसला लिया जाएगा। मुख्य सचिव ने उद्योगपतियों की समस्याओं के समाधान के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी नजीम को मध्यस्थता के भी निर्देश दिए हैं।सीआईआई के प्रतिनिधियों का कहना है कि फायर एनओसी के लिए सरकार ने सभी श्रेणी के उद्योगों के लिए एक ही नियम लागू कर दिया है। एमएसएमई के तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के लिए एक ही पैमाना तय कर दिया है। 


उद्योगों के लिए एक लाख लीटर का पानी का टैंक बनाना अनिवार्य कर दिया है। 500 या 1000 वर्ग मीटर के प्लॉट में ऐसे टैंक बनाना मुश्किल है। नेशनल बिल्डिंग कोड के तहत भवनों को श्रेणीबद्ध करने का प्रावधान है। इसके अंतर्गत उद्योगों को भी अग्निकांड की संवेदनशीलता के आधार पर वर्गीकृत कर राहत दी जा सकती है। 

फायर एनओसी न होने के कारण उद्योगों के पंजीकरण का नवीनीकरण नहीं हो पा रहा इतना ही नहीं फैक्टरी बीमा न होने से भी उद्यमी परेशान हैं।उद्योग संचालक फायर एनओसी का विरोध नहीं कर रहे। हमारा आग्रह इतना है कि उद्योगों की श्रेणी के आधार पर एनओसी की शर्तों में राहत दी जानी चाहिए। नेशनल बिल्डिंग कोड के प्रावधानों के तहत शर्तों को व्यावहारिक बनाया जाना चाहिए। उद्योगों के क्लस्टर बना कर पानी के बड़े टैंक बनाने की छूट मिलनी चाहिए। 


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