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किस प्रकार के सं#कट को लेकर प्रदेश सरकार करेगी ऑडिट ?

                                                        हिमाचल में छा सकता है पानी का सं...कट 

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

जलसंकट से निपटने के लिए हिमाचल सरकार राज्य में पानी के स्रोतों का ऑडिट करेगी। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने इसके लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) जलशक्ति ओंकार शर्मा को कमेटी गठित करने के निर्देश जारी किए हैं। 

गर्मियों में पेयजल संकट न गहराए, उससे पहले सभी जलस्रोतों का बारीकी से अध्ययन कर पानी का समुचित वितरण सुनिश्चित करने की कार्ययोजना तैयार करने के लिए कमेटी को कहा जाएगा। यह कमेटी प्रदेशभर में जलस्रोतों और इनसे हो रही जलापूर्ति से पाइपों में होने वाली लीकेज को रोकने के लिए कदम उठाएगी। अवैध बोरवेल का ब्योरा एकत्र किया जाएगाा। राज्य में हर व्यक्ति के लिए जलापूर्ति सुनिश्चित करने के दृष्टिगत यह कदम उठाया जा रहा है।मुख्य सचिव ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए निर्देश दिए हैं कि मौजूदा जलाशयों की स्थिति का आकलन करने के लिए जल शक्ति विभाग उचित कदम उठाए। मुख्य सचिव को मिली शिकायत के अनुसार राज्य में पाइपलाइन रिसाव के कारण लगभग 40 से 50 प्रतिशत पानी बर्बाद हो रहा है। 


 इस नुकसान को कम करने की योजना बनाने के लिए कहा गया है। शिकायत के अनुसार कुछ क्षेत्रों में हर चार से पांच दिन में सिर्फ एक बार ही पानी मिल रहा है, जबकि अभी सर्दी नहीं गई और गर्मी आना बाकी है। कई लोगों ने अंधाधुंध बोरवेल खोदे हैं, जिससे जलस्तर में भी कमी आने की संभावना है। इस पर सख्ती की जानी चाहिए। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने कहा कि एसीएस ओंकार शर्मा को जलस्रोतों का निरीक्षण करने के लिए कमेटी बनाने के निर्देश दिए हैं। शिमला के पूर्व उप महापौर ने उनके ध्यान में कई तथ्य लाए हैं। पेयजल संकट से निपटने के लिए यह कमेटी अध्ययन कर उचित कदम उठाएगी।

नगर निगम शिमला के पूर्व उप महापौर टिकेंद्र सिंह पंवर ने मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को भेजे पत्र में लिखा है कि अगर जुलाई में मानसून आने से पहले नियमित वर्षा नहीं हुई तो वर्तमान में बनी सूखे जैसी स्थिति पूरी तरह से सूखे में बदल सकती है। यह खेतीबाड़ी को नष्ट करने के अलावा पेयजल योजनाओं को गंभीर रूप से प्रभावित करेगी। जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) ने भी चेतावनी दी है कि भारत के दो सबसे संवेदनशील क्षेत्रों तटीय क्षेत्रों और हिमालय में मौसम में बदलाव की घटनाएं तेजी से स्पष्ट होंगी। घटती हुई हिमरेखा और न्यूनतम बर्फबारी ने यहां के पर्वतीय क्षेत्रों में जल धारण क्षमता को कम कर दिया है। हिमाचल ने पहले ही 2023 में भारी वर्षा देखी है, उसके बाद 2024 में कम वर्षा हुई है और वर्ष के अंत तक बारिश नाममात्र की हुई। 



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