अमानिटा मशरूम सबसे अधिक जहरीली
सोलन,ब्यूरो रिपोर्ट
खुंब निदेशालय सोलन (डीएमआर) ने देश भर से मशरूम के 4,092 जर्मप्लाज्म एकत्रित किए हैं। जिसे निदेशालय किसानों, विश्वविद्यालय और मशरूम फार्मों को मुहैया करवा रहा है। इसके अलावा डीएमआर जहरीले और खाने योग्य मशरूम की भी पहचान कर रहा है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने खुंब अनुसंधान एवं निदेशालय के निरीक्षण के दौरान यह जानकारी दी।डॉ. हिमांशु ने बताया कि डीएमआर पिछले कई वर्षों से जहग-जगह से कई किस्म के मशरूम एकत्रित कर रहा है। देश के एकमात्र खुंब अनुसंधान सोलन में इन सभी जर्मप्लाज्म को एकत्रित कर ठंडे और गर्म तापमान में सुरक्षित रखा गया है। डीएमआर के निदेशक डॉ. वीपी शर्मा ने बताया कि 500 प्रकार के जंगली मशरूम सिर्फ हिमाचल से ही एकत्रित किए हैं, जिन पर निदेशालय के विशेषज्ञों ने शोध कार्य भी शुरू कर दिया है। इसमें पता लगाया जा रहा है कि कौन मशरूम खाने योग्य है और कौन जहरीली। विश्वभर में मशरूम की करीब 14 हजार से अधिक प्रजातियां हैं। इनमें खाने लायक लगभग तीन हजार प्रजातियां ही हैं।अमानिटा प्रजाति की मशरूम सबसे अधिक जहरीली होती है।
इस मशरूम के सेवन से 24 घंटे में इन्सान की मौत हो सकती है। अन्य जहरीली मशरूमों के खाने से पेट दर्द, दस्त, उल्टी और पेट में ऐंठन होती है। किंग बोलीट, पाइन मशरूम, गुच्छी मशरूम, सीप मशरूम, सल्फर शेल्फ मशरूम सबसे ज्यादा खाए जाने वाली जंगली मशरूम हैं।महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा कि खुंब अनुसंधान निदेशालय मशरूम को लेकर बेहतरीन कार्य कर रहा है। इसमें अब मशरूम की शेल्फ लाइफ बढ़ाने पर भी शोध किया जाएगा, जिससे उत्पादकों को लाभ मिलेगा। अभी कई मशरूम जल्दी खराब हो जाते हैं। इसके अलावा देश भर के किसानों और मशरूम उत्पादकों के लिए प्रशिक्षण शिविरों को भी बढ़ाया जाएगा।यह बात उन्होंने निदेशालय की लैब और मशरूम फार्म के निरीक्षण के दौरान कही। इस दौरान निदेशक ने उन्हें बताया कि एक लाख रुपये प्रति किलो बिकने वाली कीड़ाजड़ी मशरूम का प्रशिक्षण भी किसानों को दिया जा रहा है। महानिदेशक ने निदेशालय में 33 बेड के नवनिर्मित किसान होस्टल का भी शुभारंभ किया। इस होस्टल का नाम भारत रत्न एमएस स्वामीनाथन किसान अतिथिगृह रखा है।
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