700 पद खत्म करने का फैसला वापस लेने की मांग
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
राज्य बिजली बोर्ड के कर्मचारी कांग्रेस सरकार के खिलाफ 11 फरवरी को हमीरपुर से संघर्ष का बिगुल फूंकेंगे। बुधवार को राजधानी शिमला स्थित बिजली बोर्ड मुख्यालय कुमार हाउस के बाहर प्रदर्शन कर 700 पद समाप्त करने का फैसला वापस लेने की मांग उठाई गई।
पुरानी पेंशन योजना की बहाली, नई भर्तियां नहीं होने और बकाया वित्तीय लाभ नहीं मिलने पर रोष जताते हुए कर्मचारियों, पेंशनरों और अभियंताओं के संयुक्त मोर्चा ने पूरे प्रदेश में आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी।बुधवार को भोजनावकाश के दौरान सांकेतिक प्रदर्शन करते हुए संयुक्त मोर्चा के संयोजक लोकेश ठाकुर और सह संयोजक हीरालाल वर्मा ने कहा कि बिजली बोर्ड के ढांचे के साथ छेड़छाड़ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार और प्रबंधन वर्ग ने युक्तिकरण की प्रक्रिया को बंद नहीं किया जो पूरे प्रदेश में आंदोलन उग्र किया जाएगा।उन्होंने कहा कि संयुक्त मोर्चा की मुख्य मांग है कि बिजली बोर्ड में पुरानी पेंशन बहाल की जाए। बोर्ड में युक्तिकरण के नाम पर पदों को समाप्त करना बंद किया जाए।
नई भर्तियां जल्द शुरू की जाए। बिजली कर्मचारियों व अभियंता के साथ जून 2010 में हुए समझौते को लागू करते हुए बिजली बोर्ड़ के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। इस फैसले का उल्लंघन न किया जाए। बोर्ड पेंशनर्स के सेवानिवृत्ति लाभ और पेंशन की बकाया राशि की अदायगी शीघ्र की जाए। आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए स्थायी नीति बनाई जाए और भविष्य में आउटसोर्स भर्ती बंद की जाए। सबस्टेशन व पावर हाउस की ऑपेरशन एंड मेंटेनेंस आउटसोर्सिंग बंद की जाए।बिजली बोर्ड में 700 पद समाप्त करने का फैसला होने पर मिनिस्ट्रियल सर्विसेज एसोसिएशन भी भड़क गई है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि बोर्ड प्रबंधन के इस तुगलकी फरमान को स्वीकार नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री से मिलकर इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने हमेशा एसोसिएशन को युक्तिकरण के नाम पर मिनिस्ट्रियल वर्ग का कोई भी पद समाप्त न करने का भरोसा दिला रखा है। प्रबंधन वर्ग गलत तरह की तस्वीर सरकार के सामने पेश कर रहा है।एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष हरिनंद वर्मा और प्रेस सचिव रामेश्वर शर्मा ने कहा कि बिजली बोर्ड को घाटे से उबारने के लिए उच्च श्रेणी के पदों को समाप्त करने की सख्त जरूरत है। वर्तमान में बिजली बोर्ड में छोटी श्रेणी के कर्मचारियों की संख्या बहुत कम है। कुछ विशेष श्रेणी के अधिकारी, बिजली बोर्ड की ओर से गठित कमेटी में मुखिया हैं, उनकी साजिश से इन्हें और कम किया जा रहा है। यह अधिकारी अपनी और अपनी श्रेणी के पदों को समाप्त न करने की वकालत करते हैं। कर्मचारियों के अनुपात के हिसाब से अधिकारियों की संख्या बहुत ज्यादा है और बिजली बोर्ड का इनके वेतन, भत्ता, गाड़ी, आवास, टेलीफोन और अन्य सुख सुविधाओं पर करोड़ों रुपये खर्च आता है। इन खर्चों को को उच्च अधिकारियों की संख्या कम करके बचाया जा सकता है।
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