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नई दिल्ली स्थित हिमाचल भवन अटैच नहीं होगा

                                                     सरकार ने ब्याज सहित जमा किए 93.96 करोड़

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब नई दिल्ली स्थित हिमाचल भवन अटैच नहीं होगा। प्रदेश सरकार की ओर से हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में 93.96 करोड़ रुपये जमा करा दिए हैं। 

हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 13 जनवरी 2023 के न्यायाधीश संदीप शर्मा की ओर से पारित फैसले पर पूर्ण रोक लगा दी है। प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने कहा कि जब तक मुख्य याचिका लंबित है, तब तक 13 जनवरी 2023 के न्यायाधीश संदीप शर्मा के दिए गए फैसले पर पूर्ण रोक रहेगी। अब जो एलपीए (लेटर पेटेंट अपील) विशेष खंडपीठ के पास लंबित है, उस पर सरकार और सेली कंपनी की ओर से 24 मार्च को बहस होगी।राज्य सरकार की तरफ से हिमाचल हाईकोर्ट में जनवरी 2023 के आदेशों को परिवर्तन करने की गुहार लगाई थी, जिसमें अदालत ने सरकार को अपफ्रंट प्रीमियम के तौर पर 64 करोड़ रुपये 7 फीसदी ब्याज सहित जमा करने के आदेश दिए थे। 


वहीं, हाईकोर्ट के आदेश के बाद सेली कंपनी अब रजिस्ट्री में जमा पैसे नहीं निकाल सकेगी, क्योंकि हाईकोर्ट ने एकल जज के फैसले पर ही रोक लगा दी है।यह उल्लेखनीय है कि सेली हाइड्रो कंपनी की ओर से वर्ष 2018 में सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें सरकार पर आरोप लगाए हैं कि कंपनी की ओर से अपफ्रंट प्रीमियम के तौर पर जमा किए गए 64 करोड़ रुपये वापस नहीं किए गए। एकल जज की पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए सरकार को कंपनी का 64 करोड़ रुपये अपफ्रंट प्रीमियम 7 फीसदी ब्याज सहित वापस करने के निर्देश दिए।सरकार ने एकलपीठ के फैसले को डबल बैंच में चुनौती दी। खंडपीठ ने भी सरकार को पैसे जमा करने के निर्देश दिए और साथ ही कंपनी को प्रीमियम रिलीज करने पर रोक लगा दी।


बार-बार समय देने के बाद भी सरकार ने जब यह पैसा जमा नहीं किया, तब अदालत ने फैसले पर लगी रोक को हटा दिया। उसके बाद सेली हाईड्रो कंपनी की ओर से ऊर्जा विभाग के खिलाफ अनुपालना याचिका दायर की गई। उसी के एवज में एकल न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने नवंबर में हिमाचल भवन को अटैच करने के आदेश पारित किए। साथ ही उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए, जिनकी वजह से समय पर यह पैसा अदालत में जमा नहीं किया गया।अदालत ने कहा कि अगर समय पर पैसा जमा किया होता, तो सरकार को ब्याज के रूप में 29 करोड़ रुपये अतिरिक्त जमा नहीं करने पड़ते। अदालत ने सरकार से अगली सुनवाई में दोषी अधिकारियों के खिलाफ की जांच रिपोर्ट को प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश गोयल के आदेशों के बाद ही सरकार ने यह पैसा ब्याज सहित हाईकोर्ट में जमा किया।



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