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आखिर कैसे मिला सरुप चन्द चौधरी को नायब तहसीलदार का दर्जा

                                               विषय रोचक एवं गम्भीर :प्रवीन कुमार पूर्व विधायक

पालमपुर,रिपोर्ट नेहा धीमान 

पालमपुर विधानसभा सभा क्षेत्र के अन्तर्गत ग्रांम पंचायत हन्गलो  के निवासी श्री सरुप चन्द चौधरी सुपुत्र चौधरी नन्द लाल  सेवानिवृत्ति के उपरांत भी कैसे नायब तहसीलदार बने। 

विषय रोचक एवं गम्भीर है। यह विचार  एक विशेष मुलाकात के दौरान सरुप चौधरी ने पालमपुर के पूर्व विधायक प्रवीन कुमार के साथ व्यक्त किये।अपने विभाग के आला अधिकारियों की इस तरह की कथित कार्यप्रणाली पर बेहद नाराजगी जताते हुए सरुप चौधरी ने कहा 36 वर्ष तक इसी महकमे में बतौर पटवारी व कानूनगो अपनी सराहनीय सेवाएँ देने के बाद भी इन उच्चा अधिकारीयों ने पक्षपात करके उन्हें पदोन्नति से वंचित कर दिया। काफी फरियाद करने के बावजूद अन्ततः इन अधिकारियों के पक्षपात व्यवहार को देखकर उन्होंने अन्याय के विरुद्ध अपनी आवाज़ को बुलन्द करते हुए आहत होकर मान्य न्यायालय की तरफ रुख किया। 


इस तरह एक निर्धारित समय के भीतर मान्य न्यायालय के फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सरुप चौधरी ने कहा जिन्हें गलत तोर तरीके अपना कर प्रमोट करके नायब तहसीलदार बनाया था कोर्ट  ने उन्हें डिमोट करके वरिष्ठता के आधार उन्हे सेवानिवृत्ति के उपरान्त नायब तहसीलदार का दर्जा दिया। पूर्व विधायक ने जहां नायब तहसील दार का दर्जा मिलने पर सरुप चौधरी को बधाई दी वहीं टिप्पणी करते हुए कहा पता नहीं इस तरह के अधिकारियों के व्यवहार , पक्षपात , हठदर्मी ,तानाशाही व दादागिरी के चलते  कितनों के साथ कितना बड़ा अन्याय हो जाता है। इसका अंदाजा इस तरह के कृत्य से लगाया जा सकता । पूर्व विधायक ने सभी से आह्वान करते हुए कहा है अन्याय करने वाला इतना दोषी नहीं है जितना अन्याय सहन करने वाले दोषी है। ऐसे में उन्होंने जो समाज सेवा में समर्पित संस्था बनाई है उसका नाम ही "इन्साफ" रखा है।  इस तरह की असमानता के विरुद्ध उनकी संस्था हमेशा जनता की सेवा में समर्पित है।





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 आखिर कैसे मिला सरुप चन्द चौधरी को नायब तहसीलदार का दर्जा