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कांग्रेस के बागियों ने भाजपा की बढ़ाई मुश्किलें

                                                                 मनाने के बाद नहीं बन रही बात

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

कांग्रेस के बागियों ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। एक महीने के मान-मनौव्वल के बाद भी मंडल अध्यक्षों पर सहमति नहीं बन पाई है। संगठनात्मक चुनाव के मामले में पीछे रह गए मंडलों में 11 में से ज्यादातर इन्हीं के हलकों के हैं।

 कांग्रेस के पूर्व विधायकों में गगरेट में चैतन्य शर्मा, कुटलैहड़ से देवेंद्र कुमार भुट्टो और सुजानपुर से राजेंद्र राणा ने भाजपा के टिकट पर उपचुनाव लड़ा, लेकिन वे हार गए थे। बड़सर से भाजपा के पूर्व विधायक इंद्रदत्त लखनपाल कांग्रेस का टिकट लेकर दोबारा विधायक बने।हमीरपुर से निर्दलीय विधायक रहे आशीष शर्मा ने भाजपा का टिकट लिया और वह भी पार्टी बदलकर विधायक बन गए।


देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह भाजपा से टिकट लेकर उपचुनाव हार गए। कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में गए इन्हीं नेताओं के हलकों में भाजपा के मंडल अध्यक्षों पर सहमति नहीं बनी है। भाजपा के स्थानीय नेता अपने-अपने खेमे के मंडल अध्यक्ष नियुक्त करना चाहते हैं। भाजपा के 171 मंडल अध्यक्षों के चुनाव संपन्न करने की अवधि पहले 15 दिसंबर रखी गई थी, लेकिन अब अवधि बढ़ते-बढ़ते एक महीना हो गई है।


पता चला है कि कांग्रेस से भाजपा में गए नेताओं का समूह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मिल चुका है।उन्होंने नड्डा से भी संगठनात्मक चुनाव में संतुलन बनाने का मामला उठाया था। दूसरी ओर, भाजपा के पुराने नेताओं की ओर से पार्टी के नेतृत्व पर लगातार दबाव बनाया जा है कि उनके करीबियों को या उन्हें मंडल अध्यक्षों के पदों पर नियुक्ति में तरजीह दी जाए। इनमें पूर्व विधायक और मंडल के पुराने नेता शामिल हैं। 



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