धर्मशाला में केन्द्रीय विश्वविद्यालय के मुख्यालय का मसला डेढ दशक से लटका
पालमपुर,रिपोर्ट नेहा धीमान
धर्मशाला कालेज ओल्ड स्टुडैन्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष कर्नल करतार सिंह ने आज समाज सेवा में समर्पित इन्साफ संस्था के अध्यक्ष एवं पालमपुर के पूर्व विधायक प्रवीन कुमार से केन्द्रीय विश्वविद्यालय के मसले को लेकर मुलाक़ात की ।
कर्नल करतार सिंह ने पूर्व विधायक को बताया कि वह अभी हाल ही में केन्द्रीय मानव संसाधन मन्त्री( शिक्षा मन्त्री ) माननीय धर्मेन्द्र प्रधान जी से दिल्ली में मिले । इस मंत्रणा के दौरान उन्होंने मन्त्री महोदय को अवगत करवाया कि धर्मशाला में केन्द्रीय विश्वविद्यालय के मुख्यालय का मसला डेढ दशक से लटका है। लम्बे समय से जो तीस करोड़ रुपया प्रदेश सरकार ने जमा करवाना है । सरकार जमा नहीं करवा रही है। कर्नल करतार सिंह ने बताया कि उन्होंने मन्त्री महोदय से कहा वह धर्मशाला कालेज के भूतकाल , वर्तमान व भविष्य के लाखों छात्रों व उनके अभिभावकों की भावनाएं लेकर आपके पास आये हैं।
कर्नल करतार सिंह ने प्रश्न उठाते हुए कहा तपोवन में विधानसभा का सत्र चला बेहतर होता यहाँ समोसे व मुर्गे को लेकर प्रदर्शन के बजाए कांगड़ा के विधायक सी यू के तीस करोड़ के मुद्दे पर विधानसभा से वाकआउट करते । कर्नल करतार सिंह ने कहा कि अव श्री शान्ता कुमार जी की ढलती उम्र के चलते कांगड़ा लीडरलैस हो गया है। आज भी उनकी तर्क संगत दमदार बात आवाज़ व मांग को कोई नजरअंदाज करने की यहाँ तक कि विपक्ष भी हिम्मत नहीं जुटा पाता लेकिन सुक्खू सरकार इनकी भी उम्र अनुभव व सी यू के तीस करोड़ जमा करने की मांग का ख्याल नहीं रख रही है। यहाँ जिला कांगड़ा के नेता किसी प्रकार की गम्भीरता को न दिखाते हुए महज़ मगरमच्छी आंसू बहाकर इस मसले को लेकर राजनैतिक ड्रामेवाजियां व पैंतरेवाजियां कर रहे है।
कोई भी इतने बड़े कद का नेता नहीं जो कांगड़ा की आवाज़ बनकर इस घोर अन्याय के विरुद्ध सभी को साथ लेकर चले । कुल मिलाकर कर्नल करतार सिंह ने कहा चाहे प्रदेश में भाजपा की सरकार बने या कांग्रेस की । शिमला की राजगद्दी का रास्ता कांगड़ा के विधायक ही तय करते हैं। ऐसे में अव समय की पुकार है कि इस तरह के अन्याय के विरुद्ध एक ऐसा विकास मंच खड़ा किया जाए जो कांगड़ा के विरुद्ध अन्याय की आवाज बनकर इन नेताओं को सबक सिखाएं । इसी के साथ कर्नल करतार सिंह ने पूर्व विधायक प्रवीन कुमार से आग्रह किया कि इन्साफ की तरह समाज सेवा में समर्पित कुछ अग्रणी संस्थाएं मिलकर जो तीस करोड़ प्रदेश सरकार जमा नहीं करवा रही है इस सन्दर्भ में कानूनी पहलूओं पर अध्ययन करे।
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