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मकर संक्रांति पर्व पर तुलादान करने का विशेष माना जाता है महत्व

                       तत्तापानी में हजारों की संख्या में लोग स्नान और तुलादान करने के लिए आते हैं

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

मकर संक्रांति पर्व पर तुलादान करने का विशेष महत्व माना जाता है। इसके लिए हर वर्ष हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के करसोग उपमंडल के तहत तत्तापानी में हजारों की संख्या में लोग स्नान और तुलादान करने के लिए आते हैं। इस बार भी मंगलवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने तत्तापानी में आस्था की डुबकी लगाई।

तत्तापानी के पंडित भूपेंद्र शर्मा ने बताया कि तत्तापानी में ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र स्नान शुरू हुआ। स्नान करने के बाद लोगों ने नवग्रहों की शांति के लिए तुलादान भी करवाया। स्नान और तुलादान करने की प्रक्रिया शाम छह बजे तक चली रहती है।  इस दौरान यहां पर प्रदेश सहित बाहरी राज्यों से हजारों श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए पहुंचे। संक्रांति के एक दिन पहले शाम से ही यहां भीड़ जुटना शुरू हो गई थी ताकि संक्रांति वाले दिन लोग ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र स्नान कर सकें। मकर संक्रांति पर खिचड़ी, चावल, दाल, माश, उड़द की दाल और ऊनी कपड़ों का दान किया जाता है।ततापानी में गर्म पानी के चश्मों की उत्पत्ति के बारे में तरह-तरह की किंवदंतियां प्रसिद्ध हैं।


जाने-माने पुराणवक्ता डाॅ. गोकुलचंद शर्मा के अनुसार ततापानी के बारे में एक किंवदंती ये है कि प्राचीनकाल में इस क्षेत्र में परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि तपस्या कर रहे थे। उन्होंने इस तपोस्थली में गर्म पानी के चश्मे प्रकट किए। एक अन्य किंवदंती ये भी है कि यहां पर जमदग्नि ऋषि के पुत्र परशुराम स्नान कर रहे थे। उन्होंने जब अपने वस्त्र निचोड़े तो यहां पर गर्म पानी हो पैदा हो गया।  यहां गंधक के पहाड़ हैं। इनसे गैस बनती है, उनसे भी गर्म पानी निकलता है।पवित्र स्थल तत्तापानी में तीन बार स्नान करके राहु की दशा को शांत कराया जाता था। प्रथम स्नान के बाद पांडे लोगों को काले कपड़े पहनने को देते हैं। 


इन काले कपड़ों में लोगों से राहु का पूजन कराया जाता था। इसके बाद ग्रह के मारे व्यक्ति को अनाज, लोहा, माश की दाल, सरसों के तेल के साथ तोला जाता है। पूजा होने के बाद फिर व्यक्ति से स्नान कराया जाता है। इसके बाद पंडित लोगों से सूर्य देव की पूजा कराते हैं। पंडितों के मुताबिक ऐसा करने से राहु की दशा शांत हो जाती हैवर्ष 2020 में मकर संक्रांति के अवसर पर एक ही बर्तन में 1995 किलोग्राम खिचड़ी पकाने का विश्व रिकॉर्ड गिनीज बुक में दर्ज हुआ था। सवा सात फीट चौड़े, चार फीट ऊंचे बर्तन में 25 शेफ की मदद से पांच घंटे में इस खिचड़ी को तैयार किया गया। विशाल पतीले का वजन क्रेन की मदद से उठाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के प्रतिनिधि ऋषि नाथ की उपस्थिति में किया गया था।



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