जापानी फल के बगीचे लगाने में बढ़ा रुझान
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
सेब राज्य हिमाचल में अब बागवान जापानी फल के बगीचे भी लगाने लगे हैं। जापानी फल के नए बगीचे लगाने के लिए बागवान इस साल खासा उत्साह दिखा रहे हैं। पहली बार जापानी फल (परसीमन) के करीब एक लाख पौधे बिक चुके हैं।
बागवानी विभाग और पंजीकृत नर्सरियों से इस सीजन में अब तक जापानी फल के करीब एक लाख पौधे बिक चुके हैं। पहली बार कुल्लू जिला के अलावा शिमला, मंडी, सिरमौर और सोलन जिला में भी बागवान जापानी फल के बगीचे लगा रहे हैं। खास बात यह है कि इस बार अच्छी बारिश-बर्फबारी से जापानी फल के 90 फीसदी पौधों के कामयाब होने की संभावना है। सामान्यत: कुल रोपे गए पौधों के 20 से 30 फीसदी पौधे ही जीवित बचते हैं। फरवरी के पूरे महीने में नए पौधे लगाने की प्रक्रिया जारी रहेगी।बागवानी विभाग और पंजीकृत नर्सरियों ने बागवानों को 120 रुपये की दर से जापानी फल का पौधा उपलब्ध करवाया है।
पौधा लगाने के लिए गड्ढा तैयार करने का औसत रेट 50 रुपये हैं। गड्ढे में गोबर और खाद का खर्चा मिलाकर एक पौधा लगाने पर कुल खर्चा 180 से 200 रुपये आता है। इस तरह अब तक प्रदेश के बागवान करीब दो करोड़ रुपये जापानी फल के बगीचे तैयार करने पर खर्च कर चुके हैं। प्रदेश में सेब के बाद बागवान जापानी फल को नकदी फसल के रूप में अपना रहे हैं। जापानी फल की नई किस्मों की बाजार में अच्छी मांग है।प्रदेश में अब तक कुल्लू जिला जापानी फल का सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन इस साल अन्य जिलों में भी बहुतायत में बागवान नए बगीचे लगा रहे हैं।
आजादपुर फल मंडी दिल्ली की जयंत फ्रूट कंपनी के संचालक जयंत सोलंकी का कहना है कि जापानी फल की नई किस्में सीजन के दौरान 150 से 200 रुपये प्रतिकिलो तक बिक रही हैं। हिमाचल के जापानी फल की गुणवत्ता सबसे बेहतर है। कुल्लू के अलावा अन्य जिलों से भी जापानी फल आना शुरू हो गया है।हिमाचल में इस साल जापानी फल के बगीचे लगाने के लिए बागवान अधिक उत्साह दिखा रहे हैं। अब तक करीब एक लाख पौधे बिक चुके हैं, आगे भी अगले एक महीने तक पौधे लगाए जा सकते हैं। नए पौधे लगाने के लिए इस बार मौसम अनुकूल बना हुआ है। अच्छी बारिश और बर्फबारी से उम्मीद है 90 फीसदी तक पौधे कामयाब होंगे।
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