यह इंजेक्शन बाहरी राज्यों से मंगवाना पड़ता है
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
आईजीएमसी शिमला में बीते दिनों इंजेक्शन न मिलने पर कैंसर मरीज की मौत होने पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल ने रिपोर्ट तलब की है। सोलन में कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि आईजीएमसी प्रशासन की ओर से इंजेक्शन मंगवाया गया था।
उन्होंने कहा कि डॉक्टर कभी भी नहीं चाहते हैं कि उनके पेशेंट की हालत खराब हो या फिर उनकी मृत्यु हो जाए। उन्होंने कहा कि कैंसर के दौरान लगने वाले इंजेक्शन की बात की जा रही है, वह करीब 50,000 रुपये का आता है। यह इंजेक्शन बाहरी राज्यों से मंगवाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रशासन ने इंजेक्शन मंगवाया था, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि मरीज को इसका लाभ नहीं मिल पाया। उन्होंने कहा कि इस तरह के लाइफ सेविंग इंजेक्शन को भविष्य में अस्पतालों में रखना सुनिश्चित किया गया है।
कैंसर रोगी देवराज शर्मा के परिजनों का कहना है कि कहा जा रहा है कि वह इंजेक्शन लेने नहीं आए, लेकिन सरकार और प्रबंधन अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच करवा लें। जिन्होंने यह इंजेक्शन उपलब्ध करवाना है, उन्हें कितनी बार फोन किए हैं, कॉल डिटेल के जरिये पता चल जाएगा। उन्हें दोष देना सही नहीं है। शिमला के देवराज का इलाज कैंसर अस्पताल से चल रहा था। उन्हें जो इंजेक्शन लगना था, वह नहीं मिल पाया। समय बाद उनकी मौत हो गई। क्योंकि सरकार ने भी अपना स्पष्टीकरण दिया है।
वहीं इंजेक्शन लेने नहीं आने की बात से परिवार के सदस्यों को गहरा धक्का लगा है। देवराज की पत्नी गीताजंलि शर्मा ने मीडिया से कहा कि वह और उनका परिवार नवंबर से दिसंबर तक इंजेक्शन के लिए भटकते रहे, ऐसे में उन्हें हर बार मायूसी ही हाथ लगी। गीताजंलि ने कहा। कि पति की मृत्यु के बाद परिवार बेसहारा हो गया है। ऐसे में परिवार के किसी सदस्य को नौकरी दी जाए। उधर, समाज सेवी संजय शर्मा ने बताया कि इस बारे में कानूनी राय भी ली जाएगी, जिससे भविष्य में ऐसा किसी के साथ न हो।
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