पौंग बांध झील में घट गए विदेशी परिंदे
काँगड़ा,ब्यूरो रिपोर्ट
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच मौसम में आ रहे बदलाव का असर अब पौंग बांध झील में आने वाले हजारों विदेशी परिंदों पर भी दिखने लगा है।
इनकी संख्या में कमी आ रही है। धीरे-धीरे बदलते मौसम के कारण सर्दियां भी देरी से शुरू हो रही हैं। इस कारण पौंग बांध में विदेशी पक्षी भी देरी से पहुंच रहे हैं और गर्मियां जल्दी आने के कारण वे यहां ज्यादा समय नहीं रुक पा रहे। वर्ष 2023 में पौंग बांध में विदेश पक्षियों की संख्या में भारी कमी दर्ज की गई थी। हर साल पौंग बांध में 120 के करीब प्रजातियों के एक लाख से अधिक विदेश पक्षी पहुंचते थे। लेकिन वर्ष 2023 में मात्र 80 प्रजातियों के 83 हजार के करीब परिंदे ही पौंग बांध में अपनी सर्दियां काटने आए।
2022 में पौंग बांध में बार हैडेडगीज पक्षियों की संख्या 50,263 थी, जो वर्ष 2023 में घटकर 37,501 पहुंच गई थी। इसके अलावा अन्य पक्षियों की संख्या भी कम रही है। करीब 22 साल बाद पौंग बांध में पक्षियों की संख्या 85 हजार से कम पहुंची है।जानकारों के अनुसार रूस, चीन, मध्य एशिया, इंडोनेशिया, साइबेरिया आदि देशों में सर्दियां अधिक होने के कारण वहां की झीलें बर्फ के कारण जमना शुरू जाती हैं। ऐसे में इन परिंदों को वहां खाना न मिल पाने के कारण गर्म इलाकों की ओर हजारों किलोमीटर का सफर तक करना पड़ता है। पौंग बांध में बार हैडडगीज, कॉमन कुट्स, ब्लैड हैडड गुल, कॉमन किंगफिशर, रेड नेक्ड ग्रीब, स्टोर्क्स, रेड क्रेस्टिड पोचर्ड आदि 100 से अधिक प्रजातियों के परिंदे पौंग बांध में सर्दियां बिताने आते हैं।
वन विभाग की वन्य प्राणी विंग के अनुसार पिछले दो वर्षों में कुछ नई प्रजातियों के पक्षी भी पौंग बांध में आने शुरू हुए हैं। इसमें ग्रेट क्रेस्टिड ग्रीब्स, मल्लार्ड्स, टफ्टिड डक्स और लॉंग टेल्ड डक्स शामिल हैं। विभाग की ओर से पक्षियों पर बर्ड रिंग लगाए जाते हैं, जिससे पता चल पाता है कि पक्षी कहां से आया है। इससे इनकी पहचान करने में भी आसानी होती है। इस बार भी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है।रूस-यूक्रेन युद्ध और तेजी से मौसम में आ रहे बदलाव का असर अब पौंग बांध में आने वाले विदेश परिंदों पर भी पड़ रहा है। वर्ष 2023 में इन पक्षियों की संख्या में कमी आई है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वहां औसत तापमान में हल्की बढ़ोतरी हुई है और कई झीलें पहले की तरह नहीं जम रही हैं। इससे वहां पक्षियों को वहीं भोजन मिल जाने से वे यहां नहीं आ रहे हैं।
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