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आखिर क्यों ?स्थानीय ग्रामीण भड़@के वन्य प्राणी विभाग के ऊपर

                                                 अवैध खेती के खिलाफ ग्रामीणों का धरना-प्रदर्शन

काँगड़ा,ब्यूरो रिपोर्ट 

पौंग झील किनारे वन्य जीव अभ्यारण्य क्षेत्र गुलेर में अवैध खेती को रोकने के लिए वन्य प्राणी विभाग की ओर से कोई काईवाई न होने पर स्थानीय ग्रामीण भड़क गए हैं।

ग्रामीणों ने गठुतर पंचायत प्रधान ठाकुर दास के नेतृत्व में सोमवार को नारेबाजी कर वन्यप्राणी विभाग के खिलाफ प्रदर्शन किया।ग्रामीणों ने इससे पहले भी 28 नवंबर को अवैध खेती को रोकने और की गई तारबंदी को हटाने के लिए वन्यप्राणी विंग के खिलाफ रोष-प्रदर्शन किया था । तब वन्य प्राणी विंग के अधिकारी ने आठ दिन के अंदर तारबंदी हटाने का आश्वासन देकर ग्रामीणों का गुस्सा शांत किया था, लेकिन 12 दिन बाद भी वन्यप्राणी विंग ने कोई करवाई नहीं कि तो सोमवार को विभाग के खिलाफ फिर रोष प्रदर्शन किया । 

ग्रामीणों ने चेताया कि अगर दो दिन के भीतर तारबंदी हटाकर अवैध खेती पर रोक नही लगाई तो ग्रामीण खुद ही हटा देंगे।स्थानीय ग्रामीणों वंदना देवी, ललिता, इंदु, सपना, सुनीता, दर्शन, निर्मल, कमलेश, शबनम, चंपा, संध्या, शिमली आदि ने बताया की विभाग ने सोमवार को तारबंदी हटाने के लिए कहा था, लेकिन स्थानीय ग्रामीण सुबह 8 बजे से लेकर दोपहर 1 बजे तक विभाग का तारबंदी हटाने का इंतजार करते रहे। कोई भी वन्य प्राणी विभाग का कर्मचारी या अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। इस पर लोगों ने वन्य प्राणी विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। लोगों ने नारेबाजी करते हुए बने प्राणी विभाग होश में आओ, अवैध खेती बंद करो, रिश्वत खोरी नहीं चलेगी, भूमाफिया पर कार्रवाई करो, जल्द तारबंदी को हटाओ आदि नारे बाजी कर कड़ा रोष प्रकट किया। 


इस प्रदर्शन में दर्जनों महिलाओं सहित ग्रामीण भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।लोगों ने बताया कि अवैध खेती करने से जहां प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा को खतरा हो जाता है, वहीं खाली क्षेत्र में चरने वाले दुधारू पशुओं को भी अपने प्राण खोने पड़ते हैं। क्योंकि अवैध खेती करने वाले फसल को बचाने के लिए कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग करते हैं, जो प्रवासी पक्षियों के साथ दुधारू पशुओं के लिए भी जानलेवा साबित होते है।पर्यावरण प्रेमी मिलखी राम शर्मा ने पौंग की खाली जमीन पर अवैध खेती करवाने के लिए वन्यप्राणी विंग के डीएफओ हमीरपुर, वन्यप्राणी परिक्षेत्र अधिकारी नगरोटा सूरियां और बीओ नगरोटा सूरियां जिम्मेवार बताया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 2000 के फैसले अनुसार वन्यप्राणी अभ्यारण्य क्षेत्र में किसी भी प्रकार की खेती नहीं की जा सकती और वन्यप्राणी विंग सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना कर रहे हैं।




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