कुल्लू के युवक को मिली नई जिंदगी
बिलासपुर,ब्यूरो रिपोर्ट
एम्स बिलासपुर ने मात्र दो माह में दूसरी सफल किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी कर एक और मरीज को नई जिंदगी दी। इस सर्जरी के बाद मरीज की सेहत में सुधार हुआ है।
ऑपरेशन के बाद मरीज का क्रिएटिनिन स्तर सामान्य हो गया, जो सर्जरी की सफलता और पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल को दर्शाता है। दरअसल कुल्लू का 22 वर्षीय युवक प्रेम सिंह गंभीर किडनी समस्या से जूझ रहा था। एम्स के विशेषज्ञों ने उसकी जांच की और पाया कि उसे ट्रांसप्लांट की जरूरत है। इसके बाद उसके किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया शुरू हुई। उसे उसके 50 वर्षीय पिता मंगल सिंह ने अपनी किडनी दी। डोनर की नेफ्रेक्टोमी (किडनी निकालने की प्रक्रिया) लेप्रोस्कोपिक तकनीक से की गई।
यह प्रक्रिया न केवल डोनर के लिए सुरक्षित है, बल्कि इससे उनकी रिकवरी भी तेज होती है।एम्स में इस तकनीक का नियमित रूप से उपयोग किया जा रहा है। इस सर्जरी को सफल बनाने में विभिन्न विभागों की मेडिकल टीम ने शानदार तालमेल दिखाया। खासकर इस ट्रांसप्लांट में नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी टीम ने अन्य फैकल्टी के साथ मिलकर कड़ी मेहनत की। बिलासपुर एम्स के साथ दिल्ली एम्स के विशेषज्ञ भी इस टीम में मौजूद रहे। अस्पताल की टीम के प्रयासों ने यह साबित किया कि अत्याधुनिक तकनीक और समर्पण के माध्यम से जटिल स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
लेप्रोस्कोपिक नेफ्रेक्टोमी के उपयोग ने इस सर्जरी की सफलता में अहम निभाई, जिसने डोनर और मरीज दोनों के लिए रिकवरी को सरल और तेज बनाया। किडनी ट्रांसप्लांट में शामिल विशेषज्ञों ने कहा कि कार्यकारी निदेशक डॉक्टर वीर सिंह नेगी के नेतृत्व में उन्हें प्रदेश के लिए बेहतर सेवाएं देने का प्रोत्साहन मिल रहा है। एम्स बिलासपुर भविष्य में भी ऐसी ही उन्नत चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। इस सफलता ने न केवल अस्पताल की प्रतिष्ठा को बढ़ाया है, बल्कि क्षेत्रीय स्तर पर गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए आशा की किरण भी जगाई है।
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