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एकल न्यायाधीश के फैसले को डबल बेंच में चुनौती क्यों?,जानिए

                                  उद्योगों की एक रुपये की सब्सिडी बंद करने के फैसले को चुनौती

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में बड़े उद्योगों को प्रति यूनिट बिजली पर एक रुपये की सब्सिडी को बंद करने के एकल न्यायाधीश के फैसले को डबल बेंच में चुनौती दी गई है। 

उद्योगों की ओर से उड़ीसा हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश व वरिष्ठ अधिवक्ता एस मुरलीधर पेश हुए।उन्होंने अपनी दलीलों में कहा कि सरकार की ओर से 3 मार्च 2024 को जारी अधिसूचना तर्कसंगत नहीं है। इसके तहत राज्य सरकार ने बड़े उद्योगों को मिलने वाली 1 रुपये की सब्सिडी को वापस लेने का निर्णय लिया था। उन्होंने अदालत को बताया कि राज्य विद्युत विनियामक आयोग ने बिना सोचे-समझे ही राज्य सरकार की ओर से जारी सब्सिडी बंद करने की अधिसूचना को लागू कर दिया है। 


उन्होंने कहा कि टैरिफ और सब्सिडी दो अलग-अलग मुद्दे हैं। टैरिफ में सिर्फ साल में एक बार ही संशोधन किया जा सकता है, जबकि सब्सिडी को बिना टैरिफ संशोधन के बदलाव नहीं किया जा सकता है।कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की पीठ ने मामले की सुनवाई की। अदालत ने सरकार से पूछा कि सब्सिडी को बंद करने का फैसले क्यों लिया गया। अदालत ने राज्य सरकार सहित बिजली बोर्ड को भी अपना जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं। अगली सुनवाई 2 जनवरी को होगी। वहीं, सरकार व बिजली बोर्ड की ओर से दलीलें दी गईं कि सरकार ने टैरिफ में कोई संशोधन नहीं किया है। 


सिर्फ उद्योगों को सरकार की ओर से मिलने वाली 1 रुपये की सब्सिडी को बंद किया है। उद्योगों का विवाद जारी किए गए बिजली के बिल से है। सरकार ने रेगुलेटरी कमीशन को सब्सिडी को वापस लेने पर अधिसूचना दी थी।अधिसूचना के बाद ही आयोग ने सब्सिडी को वापस लेने का फैसला लिया था। बता दें कि एकल न्यायाधीश ने राज्य सरकार की ओर से उद्योगों को 1 रुपये मिलने वाली सब्सिडी को बंद करने के निर्णय को सही ठहराया था। सरकार ने उद्योगों को 1 रुपये मिलने वाली सब्सिडी को बंद कर दिया था। सरकार के इस फैसले से प्रदेश में कार्यरत करीब 200 कंपनियां प्रभावित हुई हैं।



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