कई सालों से चली आ रही है ये परम्परा
बिलासपुर,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल में दो माह से चल रहे सूखे से राहत और बारिश की कामना के लिए प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री नयना देवी जी में भगवान वीरभद्र की पिंडी को माता के चरणों में स्थापित किया गया। यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है।
मान्यता है कि ऐसा बारिश की प्रार्थना के लिए किया जाता है।मंदिर के पुजारियों के अनुसार जब भी प्रदेश में लंबे समय तक बारिश नहीं होती और सूखे जैसे हालात पैदा हो जाते हैं, तब मंदिर में भगवान वीरभद्र की पिंडी को विशेष रूप से माता के चरणों में रखा जाता है। इसका उद्देश्य है कि देवी मां और भगवान वीरभद्र की कृपा से बारिश का आगमन हो और सूखा खत्म हो। पुजारियों ने बताया कि यह परंपरा उनके बुजुर्गों की ओर से शुरू की गई थी। जब भी बारिश काफी समय तक नहीं होती थी, तब वे भगवान वीरभद्र की पिंडी को मंदिर की परिक्रमा करवा बाहर माता के चरणों में रख देते थे।
मान्यता है कि इसके कुछ दिन बाद बारिश का सिलसिला शुरू हो जाता था। परंपरा को आज भी उसी विश्वास के साथ जारी रखा जा रहा है।वीरवार को भी पुजारियों ने विशेष पूजा-अर्चना की और माता रानी से प्रार्थना की कि वह जल्द ही बारिश का आशीर्वाद दें। मंदिर के पुजारी प्रवेश शर्मा और सुमित शर्मा ने कहा कि हर वर्ष जब सूखा बढ़ता है और पानी की कमी महसूस होती है तो यह धार्मिक परंपरा क्षेत्रवासियों के लिए उम्मीद की किरण बन जाती है।पिछले लंबे समय से क्षेत्र समेत सूमचे प्रदेश में बारिश न होने की वजह से सूखे जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में वीरवार को धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया गया।
इस दौरान हवन यज्ञ का आयोजन कर प्रार्थना की गई कि शीघ्र वर्षा हो, जिससे प्रदेश में सूखे जैसी स्थिति खत्म हो। इस मौके पर जल शक्ति विभाग ज्वालामुखी के अधिकारी और कर्मचारी भी विशेष तौर पर उपस्थित रहे। विधायक संजय रतन अनुष्ठान में पहुंचे और सभी ने श्रद्धा की आहुतियां यज्ञ में डालकर मां ज्वालामुखी से प्रार्थना की कि प्रदेश को सूखे की स्थिति से बाहर निकाला जाए। बारिश न होने से किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें देखी जा रही हैं। चंगर क्षेत्र के किसान नेता प्रताप सिंह राणा ने बताया कि क्षेत्र के लोगों में मायूसी है। लोग बेसब्री से बारिश का इंतजार कर रहे हैं। प्रदेशभर में कई धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जा रहे हैं, जिससे देवी देवताओं को प्रसन्न करके उनकी कृपा प्राप्त हो सके।
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