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नगर निगम आयुक्त के फैसले को जिला अदालत ने क्यों रखा बरकरार

                                          निगम आयुक्त के फैसले को चुनौती देने वाली अपील खारिज

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश के चर्चित संजौली मस्जिद में अवैध निर्माण गिराने के नगर निगम आयुक्त के फैसले को जिला अदालत ने बरकरार रखा है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण गर्ग की अदालत ने शनिवार को एमसी आयुक्त के आदेश को चुनौती देने वाली अपील को खारिज कर दिया। पांवटा साहिब के रहने वाले अपीलकर्ता नजाकत अली हाशमी ने एमसी आयुक्त के फैसले के खिलाफ 29 अक्तूबर को जिला अदालत में अपील दायर की थी। आरोप लगाया है कि मोहम्मद लतीफ की ओर से नगर निगम आयुक्त को जो हलफनामा दायर किया है, वह गैर कानूनी है।लतीफ की तरफ से जो हलफनामा दायर किया है, वह कमेटी की सहमति के बगैर दायर किया गया था।

उधर, शनिवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण गर्ग की अदालत में नगर निगम आयुक्त के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर छठीं मर्तबा सुनवाई हुई। अदालत ने सुनवाई में अपील को खारिज कर दिया है। गौरतलब है कि नगर निगम आयुक्त ने हलफनामों के आधार पर मस्जिद की अवैध तीन मंजिलों को गिराने के आदेश दिए हैं। यह मामला पूरे देश में काफी चर्चा में रहा है। इसे लेकर शिमला शहर में उग्र प्रदर्शन भी हुआ था तथा पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ा था।अपीलकर्ता नजाकत अली हाशमी ने एमसी आयुक्त के फैसले के खिलाफ 29 अक्तूबर को जिला अदालत में अपील दायर की। इस अपील पर 6 नवंबर को अदालत ने आयुक्त के फैसले पर रोक लगाने से इन्कार किया था, जबकि एमसी आयुक्त से फैसले का रिकार्ड तलब किया था।

इसी दिन स्थानीय लोगों की ओर से इस मामले में पार्टी बनाने के लिए आवेदन किया, जिस पर अदालत ने अगली सुनवाई तक अन्य पक्षों से जवाब मांगा था। 11 नवंबर को अपीलकर्ता और वक्फ बोर्ड ने यह दलीलें दी कि स्थानीय लोगों की कोई सोसाइटी या संस्था नहीं है। इसके बाद 14 नवंबर को अदालत ने लोकस स्टैंडाई के आधार पर स्थानीय लोगों के आवेदन को खारिज करते हुए इस मामले में पार्टी बनाने से इन्कार किया था। 18 नवंबर अदालत ने संजौली मस्जिद कमेटी और प्रधान के अधिकृत किए जाने का वक्फ बोर्ड से जवाब तलब किया था। इसके बाद 22 नवंबर की सुनवाई में वक्फ बोर्ड ने संजौली मस्जिद कमेटी को लेकर हलफनामा दायर किया था। इसी दिन अपील को लेकर भी पक्षों में बहस हुई थी।




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