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14 फीसदी आबादी वाले हिमाचल के लोग मोटापे की चपेट में

                               आईजीएमसी में आयोजित सर्जरी विभाग की सीएमई में हुआ खुलासा

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल की 14 फीसदी आबादी मोटापे की चपेट में है। अगर अब भी ध्यान नहीं दिया तो आने वाले समय में समस्या गंभीर हो सकती है। 

डायरेक्टर एंड हेड रोबोटिक सर्जरी मैक्स इंस्टीट्यूट से आए डॉ. विवेक बिंदल ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों की जगह शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोग मोटापे के अधिक शिकार हो रहे है। आईजीएमसी के सर्जरी विभाग ने ओबेसिटी सर्जरी सोसायटी ऑफ इंडिया के साथ मिलकर सीएमई का आयोजन करवाया।इसमें विशेषज्ञ सर्जन डॉ. रणदीप वाधवान व डॉ. विवेक बिंदल ने बताया कि पहले पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और तमिलनाडु में मोटापे के केस ज्यादा आते थे। 


लेकिन अब हिमाचल भी इससे अछूता नहीं रहा है। इससे बचना है तो खान-पान में सुधार करने की जरूरत है। इसके अलावा रोजाना डेढ़ घंटे की फिजिकल एक्टिविटी होना जरूरी है। हालांकि बैरियाट्रिक सर्जरी के जरिये इसका इसका उपचार संभव है। चिकित्सकों का कहना है कि इस तरह की सर्जरी में मरीज को तीसरे दिन अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। हालांकि खानपान में ध्यान रखने की अधिक आवश्यकता है।गांवों के बच्चों भी मोटापे की जद में आ रहे हैं। आईजीएमसी के सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. पुनीत महाजन, डॉ. रणदीप वाधवान और डायरेक्टर एंड हेड रोबोटिक सर्जरी मैक्स इंस्टीट्यूट के डॉ. विवेक बिंदल का कहना है कि इस मोटापे की वजह चिप्स और बिस्किट हैं। 


गांवों के बच्चों की पहली पसंद चिप्स है, दूसरे नंबर पर बिस्किट। क्योंकि पांच से दस रुपये में यह खाद्य पदार्थ आसानी से मिल जाते है। ऐसे में लगातार इसके सेवन से यह समस्या बढ़ रही है। जबकि तीसरे नंबर पर मोटापे का मुख्य कारण मोबाइल पर घंटों व्यस्त रहना भी है।अगर मोटापा बढ़ेगा तो इससे बीपी, कमर दर्द, इंफरटिलिटी और स्लिप डिस्क की समस्या बढ़ जाएगी। इससे घुटने भी खराब हो रहे है। हालांकि इस तरह की समस्या का इलाज बैरियाट्रिक सर्जरी व दवाइयों के माध्यम से ही किया जा रहा है। लेकिन अगर लोग जागरूक होंगे तो उन्हें यह समस्या पैदा ही नहीं होगी।




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