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टैटू बनाने का क्रेज बना सकता है एचआईवी पॉजिटिव

                                                       टैटू बनाते सिरिंज से न फैले एचआईवी

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

टैटू बनाने का क्रेज कही एचआईवी पॉजिटिव भी बना सकता है। इसके अलावा अगर टैटू आर्टिस्ट सुरक्षित और स्वच्छ तरीके से काम नहीं करता तो मुश्किलें और अधिक बढ़ सकती हैं। यही वजह है कि अब हिमाचल प्रदेश राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी टैटू सेंटरों के आर्टिस्टो के साथ बैठक करेगी।

 प्रथम चरण में शिमला शहर के आर्टिस्टों का डाटा निकालकर उनके साथ बैठक की जाएगी।हिमाचल प्रदेश राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी के राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. ललित ठाकुर ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि शहर में जितने भी टैटू सेंटर हैं, उनके आर्टिस्टों को बीमारी से बचाव को लेकर जागरूक किया जाएगा।  हिमाचल प्रदेश राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी का कहना है कि टैटू सेंटरों में कई बार ऐसे ग्राहक भी आते हैं जोकि एचआईवी पॉजिटिव होते हैं। ऐसे में अगर आर्टिस्ट पॉजिटिव व्यक्ति की सिरिंज को किसी दूसरे में इस्तेमाल किया जाता है तो उसके फैलने का खतरा अधिक पैदा होता है। 


अकसर देखा गया है कि कुछ सेंटरों में सुरक्षित उपकरणों और स्वच्छता उपायों का ध्यान नहीं रखा जाता है। इसके अलावा नई सिरिंज के इस्तेमाल न होने से भी एचआईवी फैलना मुख्य वजह है। ऐसे में इन रोगियों की संख्या न बढ़े इसलिए यह कदम आने वाले दिनों में उठाए जाएंगे।  हिमाचल प्रदेश राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी के अनुसार पिछले दो सालों में एक भी ऐसा केस सामने नहीं आया है जिनमें किसी मां से उसके बच्चे में यह बीमारी फैली हो। सोसायटी का कहना है कि यह डाटा शून्य है।राजधानी के सेंट बीड्स कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग ने शनिवार को भारत के नृजातीय औषधीय पौधों की जैव संभावना विषय पर राष्ट्रीय स्तर के वेबिनार का आयोजन किया। 


वेबिनार में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी उत्तर प्रदेश के विशेषज्ञ प्रो. नवल किशोर दुबे स्रोत व्यक्ति के रूप में शामिल हुए। प्रो. दुबे ने कई पौधों के नृजातीय नवस्पतिक मूल्यों के बारे में छात्राओं को जानकारी दी। उन्होंने व्यापक ज्ञान और अंतर्दृष्टि को साझा किया। उन्होंने अल्जाइमर, डिमेंशिया और मलेरिया जैसी विभिन्न बीमारियों के उपचार में उपयोग होने वाले औषधीय पौधों की जानकारी देते हुए कहा कि इन पौधों से इन गंभीर रोगों का उपचार किया जा सकता है। वेबिनार में भारत के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों (बीएचयू, एएमयू और एचपीयू ) के शिक्षकों के अलावा छात्र-छात्राओं और शोधार्थियों ने भाग लिया। स्रोत व्यक्ति से विषय से संबंधित सवाल भी पूछे।




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