नुकसान के आकलन से पहले सरकार को बारिश का इंतजार
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश में डेढ़ माह से बारिश न होने के कारण सूखे जैसे हालात बन गए हैं। इससे प्रदेश के अधिकतर इलाकों में गेहूं, मटर और चने की बिजाई नहीं हो पाई है। किसान और सब्जी उत्पादक भी परेशान हैं। सूखे जैसी स्थिति से फसलों को हुए नुकसान का आकलन करने से पहले सरकार बारिश का इंतजार कर रही है।
कृषि मंत्री प्रो. चंद्र कुमार ने कहा है कि मौसम विभाग ने बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है, बारिश हुई तो राहत मिलेगी। बारिश नहीं हुई तो 16 नवंबर को मंत्रिमंडल की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। फसलों को नुकसान के आकलन पर मंत्रिमंडल की बैठक में मुख्यमंत्री फैसला लेंगे। सूखे जैसे हालात से अकेले कुल्लू जिला में 13,000 हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई नहीं हो पा रही है।मिट्टी से नमी गायब होने के कारण मटर और जौ की बिजाई में भी डेढ़ महीने की देरी हो गई है। बारिश न होने से 1650 हेक्टेयर में लगाई गई लहसुन की फसल भी पीली पड़ने लगी है।
इससे करीब 10 हजार किसानों को नुकसान का अंदेशा है। बारिश न होने से जलस्रोतों में जल स्तर भी 20 से 25 फीसदी कम हो गया है। उधर, मंडी जिला में जिन क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है, वहां करीब 35 प्रतिशत गेहूं और नकदी फसलों की बिजाई हो चुकी है। हालांकि गोहर, सराज और करसोग क्षेत्राें के कुछ इलाकों में बिजाई होना बाकी है। बारिश के अभाव में लहसुन की बिजाई का काम भी प्रभावित हुआ है। चंबा जिला में जौ और मसर की बिजाई के बाद बारिश न होने से अंकुर नहीं फूटे हैं। सोलन जिला में बारिश न होने के कारण 75 प्रतिशत मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों में बिजाई का कार्य रुक गया है। किसानों ने गेहूं की अगेती व पिछेती किस्मों का बीज खरीद लिया है लेकिन खेतों में नमी न होने के कारण बिजाई नहीं हो पा रही है।
कृषि विभाग के जिला उपनिदेशक सोलन डॉ. देवराज कश्यप का कहना है कि सोलन जिला में 75 फीसदी कृषि बारिश पर निर्भर है। हमीरपुर में गेहूं की बिजाई प्रभावित हुई है। जल शक्ति विभाग हमीरपुर के एसई नीरज ने कहा कि आगामी पांच से दस दिनों तक बारिश नहीं हुई तो पेयजल स्कीमें प्रभावित होना शुरू हो जाएंगी। ऊना जिला में भी गेहूं की बिजाई प्रभावित हुई है। सूखे जैसी स्थिति के कारण बारिश पर निर्भर कृषि क्षेत्र में बिजाई का काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है। गेहूं की अगेती किस्मों की बुवाई का समय बीत गया है। मुख्य फसल की बुवाई भी इस महीने होनी जरूरी है। 60 दिन में तैयार होने वाली तिलहन फसलों, मटर और टमाटर पर भी बारिश न होने से प्रभाव पड़ा है। जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम चक्र प्रभावित होने से समस्या पेश आ रही है। पर्याप्त सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध होने पर ही किसानों को राहत मिल सकती है।
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