बंद नहीं होंगे एचपीटीडीसी के होटल
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की डबल बेंच ने पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के सभी होटलों को खुले रखने के आदेश जारी किए हैं। हाईकोर्ट के आदेश से पर्यटन निगम को बड़ी राहत मिली है। सोमवार को न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश राकेश कैंथला की खंडपीठ ने 22 नवंबर के एकल पीठ के फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें निगम के घाटे में चल रहे 9 होटलों को 25 नवंबर से बंद करने के आदेश दिए गए थे, जबकि नौ होटलों को 25 मार्च 2025 तक संचालन की मोहलत दी थी।
पर्यटन निगम ने अदालत को आश्वस्त किया है कि 10 दिन से लेकर 6 माह के भीतर सेवानिवृत्त कर्मचारियों की सभी देनदारियां निपटा दी जाएंगी। पर्यटन निगम ने देनदारियां निपटाने के लिए सरकार से वित्तीय सहायता की मांग की है। पर्यटन निगम पर सेवानिवृत्त और मृत कर्मचारियों के परिवार वालों की करीब 35 करोड़ की देनदारियां लंबित हैं। निगम की ओर से अदालत में 19 और 22 नवंबर के फैसले को चुनौती दी गई थी। 19 नवंबर को हाईकोर्ट ने निगम के घाटे में चल रहे 18 होटलों को बंद करने के आदेश दिए थे। 22 नवंबर को हुई सुनवाई में नौ होटलों को 25 मार्च तक संचालन की राहत देते हुए नौ होटलों को 25 नवंबर से बंद करने को कहा था।सोमवार को निगम की ओर से पूर्व महाधिवक्ता श्रवण डोगरा अदालत में पेश हुए।
उन्होंने अदालत में पर्यटन निगम की ओर दिए गए हलफनामे में आश्वस्त किया है कि निगम की ओर से मृत कर्मचारियों के परिजनों और 65 साल से ऊपर के सेवानिवृत्त कर्मचारियों की देनदारियां 10 दिनों के भीतर निपटा दी जाएंगी। 62 साल से ऊपर के कर्मचारियों की सभी देनदारियां एक महीने और 60 साल से अधिक वाले सभी कर्मचारियों की देनदारियां छह माह के भीतर निपटा दी जाएंगी।निगम की ओर से अदालत को बताया कि होटलों में शादियों एवं अन्य समारोहों के लिए बुकिंग के एवज में 23 लाख रुपये एडवांस पेमेंट ले ली गई है। ऐसे में यदि होटल बंद हुए तो न सिर्फ निगम की छवि खराब होगी, बल्कि निगम को क्षतिपूर्ति भी चुकाना मुश्किल होगी। हिमाचल में पर्यटन का पीक सीजन अप्रैल से जून, सितंबर से अक्तूबर और 20 दिसंबर से 15 जनवरी तक रहता है। इनमें से 20 दिसंबर से 15 जनवरी तक के लिए कमरों की एडवांस बुकिंग हो चुकी है।
अगर होटलों को बंद किया गया तो एशियन विकास बैंक की ओर से जो वित्तीय मदद दी जा रही है, वह भी प्रभावित होगी।अदालत की एकल पीठ ने सुझाव दिया था कि अगर निगम होटल चलाने में असमर्थ है तो इन्हें लीज और पार्टनरशिप पर चलाया जाए। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सुझाव को स्पष्ट करते हुए कहा कि अदालत का यह कहना नहीं था कि निगम की संपत्तियों को निजी हाथों में सौंप दिया जाए, बल्कि सेवानिवृत्त कर्मियों को उनकी देनदारियां मिल सकें, इसके लिए वैकल्पिक बंदोबस्त करने के लिए सुझाव दिया गया था। यदि निगम अपनी संपत्तियों को सही तरीके से चलाने में सक्षम है और देनदारियां निपटा सकता है तो ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं है। निगम को अपने सेवानिवृत्त कर्मियों को ग्रेच्युटी और लीव इन कैशमेंट के अलावा अन्य देनदारियां चुकानी हैं।
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