सीपीएस कानून से जुड़ीं छह अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई आज
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश के सीपीएस कानून से जुड़ीं छह अलग-अलग याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होगी। देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश संजय कुमार की खंडपीठ मामले को सुनेगी।
हिमाचल सरकार की ओर से मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी कर सकते हैं। सभी याचिकाओं में हिमाचल हाईकोर्ट के 13 नवंबर के फैसले को चुनौती दी गई है।हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के 18 वर्ष पुराने सीपीएस कानून 2006 को अवैध-असांविधानिक करार दिया है।इसके बाद छह विधायकों को सीपीएस पद से हटना पड़ा। पहली याचिका हिमाचल सरकार बनाम कल्पना और दूसरी सरकार बनाम सतपाल सत्ती नाम से दायर है। तीसरी मोहन लाल ब्राक्टा, राम कुमार चौधरी, किशोरी लाल और संजय अवस्थी ने संयुक्त रूप से दायर की है।
चौथी आशीष बुटेल, पांचवीं मोहन लाल ब्राक्टा और छठी सुंदर सिंह ठाकुर ने दायर की है। सीपीएस कानून को असांविधानिक करार दिए जाने से छह विधायकों की सदस्यता पर संशय बना है। शीर्ष अदालत में सरकार की ओर दायर याचिकाओं में कहा गया है कि मुख्य संसदीय सचिव और संसदीय सचिव के पद 70 वर्षों से भारत और 18 सालों से हिमाचल में हैं। याचिका में दलील दी गई है कि हिमाचल सरकार ने गुड गवर्नेंस और जनहित के कार्यों के लिए सीपीएस नियुक्त किए थे। पर्यटन विकास निगम के घाटे में चल रहे 18 होटलों को बंद करने के फैसले के खिलाफ सरकार हाईकोर्ट पहुंच गई है।
राज्य सरकार ने फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया है। शुक्रवार को जस्टिस अजय मोहन गोयल की अदालत ही मामले की सुनवाई करेगी। अदालत ने 19 नवंबर के फैसले में निगम के 40 फीसदी से कम ऑक्यूपेंसी वाले होटल 25 नवंबर से बंद करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने आदेश पर्यटन विकास निगम के पेंशनरों को वित्तीय लाभ न देने पर जारी किए। अदालत ने आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट प्रबंध निदेशक को 3 दिसंबर को पेश करने को कहा है। इसके साथ ही चतुर्थ श्रेणी और मृतक कर्मचारियों की सूची भी तलब की है। न्यायालय ने इससे पहले 12 नवंबर को जारी आदेशों में प्रबंध निदेशक से वर्ष 2022 से 2024 तक होटलों की आय का ब्योरा मांगा था।
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