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आखिर क्यों ?बच्चों का भविष्य है दांव पर

                                                   स्कूलों में अधिकतर विज्ञान प्रवक्ताओं के पद खाली

ऊना,ब्यूरो रिपोर्ट 

 जिले में 146 वरिष्ठ माध्यमिक, 52 उच्च और 80 माध्यमिक स्कूल हैं। वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों में अध्यापकों और प्रवक्ताओं की भारी कमी है। हालात ये हैं कि जिन स्कूलों में विज्ञान संकाय है, वहां विज्ञान विषय के प्रवक्ताओं के पद लंबे समय से खाली हैं। इसका सीधा असर पढ़ाई पर पड़ रहा है।

जानकारी के मुताबिक वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों में 125 पद खाली हैं। यहां जुगाड़ के सहारे ही काम चलाया जा रहा है। अधिकतर प्रधानाचार्यों का कहना है कि कम से कम वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों में विज्ञान के प्रवक्ताओं के पद शीघ्र भरे जाएं।दूसरी ओर शिक्षा विभाग की ओर से 13 अगस्त 2024 को अधिसूचना जारी की गई थी, जिसमें अध्यापकों से पढ़ाई के अतिरिक्त और काम न देने के फरमान सुनाए गए लेकिन जो खंड परियोजना अधिकारी बने हैं उनमें एक अधिकारी के साथ 25 से 30 स्कूल अटैच हैं। 


हर प्रकार की सूचनाओं, परीक्षा व अन्य कार्यक्रम की रिपोर्ट परियोजना अधिकारी को तैयार करनी होती है। यही नहीं स्कूलों में लिपिकों की भी कमी है। इसके चलते परियोजना अधिकारी को किसी अध्यापक की मदद लेनी पड़ती है। एक तरफ सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात करती है और दूसरी तरफ स्कूलों में विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए प्रवक्ता ही नहीं हैं। ऐसे में अभिभावकों को मजबूरी में निजी स्कूलों का रुख करना पड़ रहा है। इस समस्या को लेकर क्षेत्र के कुछ अभिभावकों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।अभिभावक अनामिका का कहना है कि जिस प्रकार प्राथमिक स्कूलों से लेकर वरिष्ठ माध्यमिक तक अध्यापकों की कमी चल रही है। 


यदि ऐसा ही रहा तो किसी दिन सरकारी स्कूल बंद होने की कगार पर आ जाएंगे। सरकार को इस दिशा में कठोर कदम उठाने चाहिए।मेडिकल ऑफिसर नरेश शर्मा ने कहा कि स्कूलों में प्रवक्ताओं की कमी विज्ञान विषय पढ़ने वाले बच्चों के साथ सीधा अन्याय है। सरकार इस दिशा में उचित कदम उठाए जिससे देश का भविष्य कहे जाने वाले हमारे युवाओं के साथ कोई अन्याय न हो।सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य डॉ. एनआर राणा का कहना है कि सरकार एक ओर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का दावा करती है। जब स्कूलों में बुनियादी सुविधा ही नहीं, तो यह कैसे संभव है। शिक्षकों की कमी पूरा करना तो सरकार का पहला फर्ज है।डॉ. परमजीत सिंह ने कहा कि सरकार के पास सभी आंकड़े होते हुए यदि प्रवक्ताओं और अध्यापकों के पद खाली हैं, तो शिक्षा के महत्व को समझ कर उन्हें भरा जाना चाहिए जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो।उपनिदेशक उच्च शिक्षा विभाग राजेंद्र कौशल ने कहा कि सरकार और विभाग के आदेश अनुसार खाली पदों को भरा जा रहा है। नई नियुक्तियों को लेकर जैसे ही कोई आदेश प्राप्त होता है, उसे तुरंत लागू किया जाएगा।



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