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बिजली उपभोक्ताओं को अब प्रति यूनिट दूध और पर्यावरण उपकर भी चुकाना होगा

                                   बिजली उपभोक्ताओं को देना होगा पर्यावरण और दूध उपकर

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल के लाखों बिजली उपभोक्ताओं को अब प्रति यूनिट दूध और पर्यावरण उपकर भी चुकाना होगा। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने विधानसभा के मानसून सत्र में पारित हुए विद्युत शुल्क संशोधन अधिनियम 2024 को मंजूरी दे दी है। 22 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को अब प्रति यूनिट 10 पैसे दूध उपकर चुकाना होगा।

 इन पर पर्यावरण उपकर नहीं लगेगा। शून्य बिल वाले उपभोक्ताओं से दूध उपकर नहीं लिया जाएगा। लघु, मध्यम और बड़े उद्योगों, वाणिज्यिक, स्टोन क्रशर, अस्थायी कनेक्शन, चार्जिंग स्टेशन मालिकों से दूध उपकर के साथ-साथ पर्यावरण उपकर भी लिया जाएगा। इन सभी श्रेणियों को 10 पैसे के दूध उपकर के अलावा पर्यावरण उपकर के तौर पर 2 पैसे से लेकर 6 रुपये प्रति यूनिट भी चुकाना होगा।प्रदेश में दूध उत्पादन बढ़ाने, किसानों को सशक्त करने और पर्यावरण सहेजने के लिए प्रदेश सरकार ने दूध और पर्यावरण उपकर लगाने का फैसला लिया है। 


शराब पर प्रति बोतल 10 रुपये उपकर लगाने के बाद अब सरकार ने बिजली पर प्रति यूनिट उपकर लगा दिया है। 9 सितंबर को विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सरकार ने इस विधेयक को सदन में रखा था। 10 सितंबर को विपक्ष के हंगामे के बीच विधेयक पारित हुआ। राजभवन में भी यह विधेयक राज्यपाल की मंजूरी के लिए कई दिनों तक रहा। 13 नवंबर को राज्यपाल ने विधेयक को मंजूरी दी। मंगलवार को विधि विभाग ने राजपत्र में इस बाबत अधिसूचना जारी की। हिमाचल में पर्यटन, उद्योग को बढ़ावा देने के लिए और स्वच्छ पर्यावरण सुनिश्चित करने के लिए हिमाचल सरकार ने उपकर लगाने का फैसला लिया है। उपकर से होने वाली आय प्रदेश की बहुउद्देश्यीय परियोजनाओं, ऊर्जा विभाग/ऊर्जा निदेशालय के शीर्ष में जमा की जाएगी।


पर्यावरण उपकर लेने के लिए उद्योगों को तीन श्रेणियों लघु, मध्यम और बड़े उद्योगों की श्रेणी में बांटा गया है। लघु उद्योगों पर दो पैसे प्रति यूनिट, मध्यम उद्योगों पर चार पैसे, बड़े उद्योगों पर 10 पैसे, वाणिज्यिक उपभोक्ताओं पर 10 पैसे, अस्थायी कनेक्शनों पर दो रुपये और स्टोन क्रशरों पर दो रुपये प्रति यूनिट पर्यावरण उपकर लगेगा। हिमाचल को हरित राज्य बनाने के लिए प्रयासरत सरकार विद्युत वाहन चार्जिंग स्टेशनों से भी 6 रुपये प्रति यूनिट उपकर वसूलेगी।यह विधेयक राजभवन शिमला में मानसून सत्र में पारित होने के बाद विचाराधीन था। वित्त विधेयक होने के कारण इसे सदन में पेश करने से पूर्व भी राज्यपाल की मंजूरी ली गई थी। अब पारित होने के बाद भी स्वीकृति मिल गई है। विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद इसने अब एक्ट का रूप ले लिया है। अब इसमें दी गई व्यवस्था को लागू करने से पहले इस अधिनियम के नियम बनेंगे। नियमों के अधिसूचित होने के बाद ही उपकर लेना शुरू किया जा सकता है।




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