किसान बोले, फसल की ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं देखी
ऊना,ब्यूरो रिपोर्ट
गगरेट उपमंडल में इस साल आलू की फसल पर बीमारी का कहर टूट पड़ा है। इससे किसानों को भारी नुकसान हो सकता है। क्षेत्र के एक किसान संजीव चड्ढा ने बताया कि उनकी आलू की फसल अज्ञात बीमारी की चपेट में आ गई है। इसके कारण पौधे सूख रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इस बार फसल की ऐसी स्थिति उन्होंने पहले कभी नहीं देखी। विशेषज्ञों के मुताबिक आलू के पौधे सूखने के कई संभावित कारण हो सकते हैं। इनमें अल्टरनेरिया ब्लाइट, लेट ब्लाइट, फ्यूजेरियम विल्ट, बैक्टीरियल विल्ट और रूट रोट प्रमुख बीमारियां हैं। इन बीमारियों के कारण आलू के पौधे की पत्तियां और तने मुरझाने लगते हैं और फसल धीरे-धीरे सूखने लगती है। एफिड्स, थ्रिप्स, बीटल्स, लीफ माइन, व्हाइट फ्लाई और लीफहॉपर नाम के कीट पौधों को लगने वाली बीमारियों का कारण बनते हैं।
विशेषज्ञों ने बताया कि इन बीमारियों के अन्य कारण मौसम में बदलाव, अत्यधिक नमी, मिट्टी में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया और फफूंद हो सकते हैं। फसलों की उचित देखभाल, समय पर फफूंदनाशक और कीटनाशक का उपयोग और फसल चक्रीकरण जैसी तकनीकें अपनाकर इन बीमारियों से बचा जा सकता है। कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे अपनी फसल की नियमित निगरानी करें और जैसे ही सूखने के लक्षण दिखें, तुरंत विशेषज्ञों से संपर्क करें।
साथ ही किसानों को यह भी सलाह दी गई है कि वे जैविक और रासायनिक उपचार करें जिससे फसल को बचाया जा सके। गगरेट के किसानों ने सरकार और कृषि विभाग से मदद की गुहार लगाई है। उधर, विषयवाद विशेषज्ञ कृषि डॉ. नवदीप कौंडल ने बताया कि किसानों को समय रहते जैसे ही पौधों को बीमारी के लक्षण दिखाई दें, तुरंत कृषि विशेषज्ञों की सलाह लेकर कीटनाशक थियामैथोकम और फंगीसाइड मैंकोजेब, मेटालैक्सिल और डायमेटोमार्फ आदि का उपयोग कर सकते हैं।
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