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नकली पटाखों से सचेत रहने और हरित पटाखे इस्तेमाल करने की सलाह

                                                              दिवाली पर हरित पटाखे ही चलाएं

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लोगों को नकली पटाखों से सचेत रहने और हरित पटाखे इस्तेमाल करने की सलाह दी है। इन पटाखों से प्रदूषण अधिक होता है। हवा में जहरीले रसायन, धूल और धुआं छोड़ने वाले पटाखों से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी बढ़ती हैं। 

इससे खासकर श्वास रोगों से पीड़ित लोगों को दिक्कतें होती हैं।हरित पटाखे सामान्य पटाखों की तुलना में 30 फीसदी कम प्रदूषण फैलाते हैं। इनमें बैरियम नाइट्रेट जैसे हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल नहीं किया जाता जो पारंपरिक पटाखों में भारी मात्रा में होते हैं। इन पटाखों के उपयोग से नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे प्रदूषकों का उत्सर्जन भी कम होता है।


यह पटाखे ध्वनि प्रदूषण को भी नियंत्रित करते हैं। इनसे निकलने वाला शोर 110 से 125 डेसिबल के बीच होता है। सामान्य पटाखे 160 डेसिबल तक आवाज निकालते हैं। हरित पटाखे भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय पर्यावरणीय इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान में विकसित किए हैं। इन पटाखों को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार विकसित किया है जिससे यह सुनिश्चित हो कि पटाखे पर्यावरण के अनुकूल हैं।बाजार में नकली हरित पटाखों की भी भरमार है। 


असली हरित पटाखों के पैकेट पर लोगो और एक क्यूआर कोड होता है। इस क्यूआर कोड को स्मार्टफोन से स्कैन करने पर उत्पाद से संबंधित पूरी जानकारी मिलती है, जैसे निर्माण का स्थान, लाइसेंस की जानकारी और प्रदूषण प्रमाण पत्र। क्यूआर कोड स्कैन करने पर अगर कोई जानकारी नहीं मिलती है तो उस पटाखे को नकली माना जा सकता है।निर्माण के समय पटाखों की जांच की जाती है कि पटाखों में सही रसायनों का उपयोग किया है या नहीं। हरित पटाखों का उपयोग न केवल पर्यावरण को बचाने में मदद करता है, बल्कि एक जिम्मेदार समाज के निर्माण में भी योगदान देता है।




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