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आखिर क्यों ? काँगड़ा की डल झील है सूखने के कगार पर

                                                      इस कारण मछलियों पर भी मंडराया खतरा 

काँगड़ा,ब्यूरो रिपोर्ट 

 नड्डी स्थित ऐतिहासिक डल झील में रिसाव की समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है। झील में एक बार फिर से रिसाव की समस्या से झील सूखने लग पड़ी है। इससे झील की मछलियाें पर भी खतरा मंडराने शुरू हो गया है।

डल झील में रिसाव की समस्या पिछले लंबे समय से चली आ रही है और इसका अभी तक कोई स्थायी समाधान भी नहीं निकल पाया है। डल झील में राधाष्टमी के पर्व स्नान के दौरान भी रिसाव के कारण यह सूखने की कगार पर पहुंच चुकी थी।इस दौरान जल शक्ति विभाग ने राधाष्टमी पर्व पर पेयजल योजना के पानी से झील को भरा था। अब दोबारा से इस झील में रिसाव के कारण पानी का स्तर कम होते जा रहे है और यह सूखने की कगार पर पहुंच चुकी है। 

झील के सूखने के चलते क्षेत्र की सुंदरता पर भी ग्रहण लग रहा है। पर्यटन नगरी मैक्लोडगंज में घूमने के लिए आने वाले पर्यटक भी झील की सुंदरता के बारे सुनकर इसको निहारने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन यह झील में पानी के बिना केवल गाद ही दिखाई देती है। इस झील के रिसाव को रोकने के लिए पूर्व में राजस्थान की मुल्तानी मिट्टी को भी लाया गया था जिसे रिसाव वाले स्थान पर डाला गया था। इसके लिए 40 से 50 लाख रुपये भी खर्च किए गए, लेकिन रिसाव की समस्या जस की तस बनी हुई है। वहीं, रिसाव की सूचना पर मंदिर अधिकारी सहित अन्य अधिकारियों ने मौके का दौरा किया है।

एसडीएम धर्मशाला संजीव भोट ने बताया कि डल झील में रिसाव की जानकारी मिलने के बाद मंदिर अधिकारी ने मौके का दौरा किया है। साथ ही बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें नगर निगम के जेई को प्रारंभिक तौर पर मछलियों को बचाने के कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही जल शक्ति विभाग को झील में समय-समय पर पानी की आपूर्ति करने के लिए कहा गया है। झील के रिसाव रोकने के लिए पूर्व में जो सर्वे हुए हैं, उनकी रिपोर्ट भी मांगी गई है, जिससे आगामी कदम उठाए जा सकेें।




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