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आखिर क्यों एनजीटी की सुनवाई में नहीं पहुंचे प्रदेश सरकार के अधिकारी

                                                            10-10 हजार रुपये का लगा जुर्माना

ऊना,ब्यूरो रिपोर्ट 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) नई दिल्ली ने वन विभाग के मुख्य अरण्यपाल और उद्योग विभाग के प्रधान सचिव को 10-10 हजार रुपये जुर्माना लगाते हुए 19 सितंबर को होने वाली सुनवाई में हर हाल में पेश होने के निर्देश दिए हैं। 

पंडोगा औद्योगिक क्षेत्र में नियम के मुताबिक पेड़ कटान के बदले पौधे न लगाने और सीईटीपी प्लांट न लगने के मामले की सुनवाई पेश न होने पर जुर्माने के आदेश किए। शिकायतकर्ता ऊना के नजदीकी गांव कोटला कलां निवासी मनोज कौशल सुनवाई में वर्चुअल रूप से प्रस्तुत हुए। 

इससे पहले मामले में 9 अगस्त को सुनवाई हुई थी। इसमें एनजीटी ने वन विभाग के मुख्य अरण्यपाल और उद्योग विभाग के प्रधान सचिव को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश दिए थे, लेकिन दोनों अधिकारी सुनवाई में पेश नहीं हुए। एनजीटी के न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद ने मामले में सुनवाई की।


 एनजीटी ने पंडोगा औद्योगिक क्षेत्र में 9,930 से ज्यादा पेड़ों के कटान पर संरक्षण के लिए कुछ न किए जाने, पेड़ कटान के लिए उद्योग विभाग की ओर से 77,40,900 रुपये जमा कराने का लेखा जोखा बताने सहित औद्योगिक क्षेत्र में सीईटीपी प्लांट की स्थापना न होने पर पक्ष जानना है। सुनवाई में मौजूद अधिवक्ताओं ने कहा कि विधानसभा सत्र में व्यस्त होने के कारण अधिकारी पेश नहीं हो सके। एनजीटी ने सख्त लहजे में कहा कि क्या वह पूरा दिन वहीं रहते हैं, और कोई काम नहीं करते? क्यों न उन्हें वारंट निकाला जाए ? अधिवक्ताओं की अपील पर दोनों अधिकारियों के वारंट को तो टाला गया। लेकिन एनजीटी ने अगली सुनवाई में हर हाल में पेश होने के निर्देश दिए।




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