Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

मैक्लोडगंज और इसके आसपास के क्षेत्र में बड़े स्तर पर भू धंसाव

                                                      धर्मगुरु दलाई लामा के मठ को भी खतरा

काँगड़ा,ब्यूरो रिपोर्ट 

पर्यटन नगरी मैक्लोडगंज और इसके आसपास के क्षेत्र में बड़े स्तर पर भू धंसाव हो रहा है। मैक्लोडगंज, फरसेटगंज, जोगीबाड़ा रोड, टिहरा लाइन, कालापुल और आसपास के क्षेत्रों में कई जगह सड़कें और जमीन धंस रही हैं।

धर्मगुरु दलाई लामा के मठ को भी भू-धंसाव से खतरा पैदा हो गया है।धर्मशाला से मैक्लोडगंज की ओर जाने वाली मुख्य सड़क जगह-जगह डेढ़ से दो फीट नीचे धंस गई है। डंगे गिर गए हैं। सड़कों पर गहरी दरारें हैं। इस मार्ग पर वोल्वो बसों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा और निर्वासित तिब्बत सरकार का मुख्यालय भी मैक्लोडगंज में है। मैक्लोडगंज, धर्मकोट, नड्डी, सतोवरी, फरसेटगंज, जोगीबाड़ा रोड और आसपास के क्षेत्र में करीब 400 के करीब होटल, रेस्तरां और अन्य शॉपिंग मॉल हैं।

यहां हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं। फरसेटगंज और टिहरा लाइन में छावनी क्षेत्र है। यहां पर भारतीय सेना के जवान और अधिकारी रहते हैं। इसके अलावा केंद्रीय विद्यालय भी है।भूकंप की दृष्टि से यह क्षेत्र अति संवेदनशील है। धर्मशाला और मैक्लोडगंज का क्षेत्र सिस्मिक जोन 4-5 में शामिल है। बावजूद इसके इन क्षेत्रों में बड़े स्तर पर निर्माण गतिविधियां जारी हैं। भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग की ओर से यहां पर भू धंसाव के चलते सर्वे भी करवाया गया है, लेकिन अभी तक इसकी रिपोर्ट नहीं आई है। समय रहते ध्यान न दिया गया तो उत्तराखंड के जोशीमठ की तरह यहां पर भी वैसे ही हालात होने की आशंका है। 

स्थानीय निवासी रविकांत शर्मा, राजेश ठाकुर और विवेक पठानिया ने कहा कि सरकार और जिला प्रशासन को इसे गंभीरता से लेते हुए बड़े स्तर पर हो रहे बहुमंजिला भवनों के निर्माण पर रोक लगानी चाहिए।मैक्लोडगंज और आसपास के क्षेत्र में भूस्खलन हो रहा है। इस बारे में भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग से सर्वे रिपोर्ट मांगी गई है।वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी में रहते हुए इस क्षेत्र में हो रहे भू धंसाव का वर्ष 1998 के आसपास सर्वे किया था। भूस्खलन वाली करीब 25 विभिन्न जगहें चिह्नित की गई थीं। भू धंसाव के कई कारण पाए थे, लेकिन अब नए सर्वे की जरूरत है, ताकि उपायों पर विचार किया जा सके। 





Post a Comment

0 Comments