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मातृत्व लाभ और ग्रेच्युटी का लाभ न देने वालों संस्थानों पर शिकंजा कसना शुरू

                                                          शिक्षण संस्थानों में लागू नहीं हो रहे नियम

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

श्रम विभाग ने कर्मचारियों को मातृत्व लाभ और ग्रेच्युटी का लाभ न देने वालों संस्थानों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। शिमला जोन के तहत विभाग के श्रम निरीक्षकों ने 50 से अधिक शिक्षण संस्थानों का निरीक्षण किया है।

इनमें 15 संस्थानों को कानून का उल्लंघन करने पर नोटिस जारी किए गए हैं। यदि यह संस्थान कानून का पालन सुनिश्चित नहीं करते तोे अब इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 1961 तथा ग्रेच्युटी अधिनियम, 1972 के प्रावधानों को अधिकांश संस्थानों में लागू नहीं किया जा रहा है। ऐसे संस्थानों को इन उल्लंघनों को सुधारने तथा कर्मचारियों के अधिकारों का सम्मान सुनिश्चित करने के लिए अल्टीमेटम दिया गया है।

ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972, सेवानिवृत्त या कम से कम पांच साल की सेवा पूरी करने के बाद इस्तीफा देने वाले कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का लाभ देना कानूनन अनिवार्य है।  इसी तरह मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के अनुसार दो बच्चों के लिए मातृत्व लाभ की सुविधा 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह और दो से अधिक बच्चों के लिए मातृत्व लाभ 12 सप्ताह किया गया है। श्रम विभाग सभी संस्थानों को अनिवार्य रूप से इन दोनों कानूनों को लागू करने को लेकर जागरूक भी कर रहा है और कानून के उल्लंघन पर होने वाली कार्रवाई से भी अवगत करवाया जा रहा है।

 श्रम विभाग की ओर से चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत संस्थानों में नियोक्ताओं को श्रम कानूनों से अवगत करवाने और लागू करने में सहयोग के लिए सुविधा प्रदान की जा रही है। सभी संस्थानों के लिए कर्मियों को मातृत्व और ग्रेच्युटी का लाभ देना अनिवार्य है। कानून का उल्लंघन दंडनीय अपराध है। श्रम विभाग संस्थान प्रबंधनों को मातृत्व और ग्रेेच्युटी के लाभ को लेकर जागरूक कर रहा है। जो संस्थान बार-बार नोटिस जारी होने के बावजूद कर्मियों को लाभ नहीं दे रहे उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।






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