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पांगणा क्षेत्र में जंगली अनार का तुड़ान शुरू

                                        जंगली अनार तैयार, बागवानों की आर्थिकी में कर रहा सुधार

मंडी,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी के पांगणा क्षेत्र में जंगली अनार (दाड़ू) का तुड़ान शुरू हो गया है। इससे स्थानीय बागवानों की आर्थिकी में सुधार हो रहा है।

 यह प्राकृतिक और जैविक फल सूखाकर 300 से 500 रुपये प्रतिकिलो घर पर ही बेचा जा रहा है। इससे बागवान लाभान्वित हो रहे हैं।जंगली अनार को स्थानीय भाषा में दाड़ू कहा जाता है। इसका इस्तेमाल औषधियों और खाद्य सामग्री में किया जाता है। इसका उपयोग विशेष रूप से अनारदाना बनाने में होता है, जो आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ जैसे रोगों के इलाज के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। 

इसके बीजों को धूप में सुखाकर अनारदाना तैयार किया जाता है, जो तृप्तिदायक, वीर्यवर्धक और बुद्धिवर्धक गुणों से युक्त होता है।स्थानीय विशेषज्ञ डॉ. जगदीश शर्मा बताते हैं कि अनारदाना पाचन संबंधित रोगों को ठीक करने और शरीर में स्फूर्ति बनाए रखने में मदद करता है। इसके सेवन से रक्त के विकार, अरुचि, अजीर्ण और निर्बलता को भी दूर किया जा सकता है। अनार के फूल नकसीर को दूर करते हैं। बच्चों के अतिसार में इसकी कली को बकरी के दूध के साथ घिसकर चटाते हैं।पज्याणु निवासी रमेश शास्त्री एवं सुभाषपालेकर प्राकृतिक खेती की जिला मंडी की सलाहकार लीना शर्मा कहती हैं कि दाड़ू पूर्णतः प्राकृतिक और जैविक फल है।

इसमें किसी भी प्रकार के कीटनाशक का छिड़काव और रसायनिक खाद का प्रयोग नहीं होता। दाड़ू के बीजों को धूप में सुखाया जाता है, जिनको अनारदाना कहते हैं।पांगणा और आसपास के सुईं-कुफरीधार, मशोग, गलयोग सीणी, परेसी, धार-बेलर, बलिंडी और अन्य पंचायतों में दाड़ू के पौधे बहुतायत में पाए जाते हैं। व्यावसायी धर्मपाल गुप्ता ने कहा कि अच्छे और पक्के अनारदाने के और भी अच्छे दाम मिल सकते हैं। उन्होंने बागवानों को सलाह दी है कि वे दाड़ू को पकने पर ही तुड़ान करें।




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