जागरूकता कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्यचिकित्सा अधिकारी डॉ राजेश गुलेरी द्वारा की गई
पालमपुर,ब्यूरो रिपोर्ट
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग कांगड़ा द्वारा मुख्यचिकित्सा अधिकारी कार्यालय के मीटिंग हाल में अंतरराष्ट्रीय सर्पदंश दिवस के उपलक्ष्य में मेडिकल आफ़िसर्ज व हेल्थकेयर वर्करज के लिए सर्पदंश उपचार प्रबंधन पर विशेष कार्यशाला, जागरूकता गतिविधि का आयोजन किया गया । इस जागरूकता कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्यचिकित्सा अधिकारी डॉ राजेश गुलेरी द्वारा की गई।
इस दिवस के बारे जानकारी देते हुए डॉ राजेश गुलेरी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय सर्पदंश जागरूकता दिवस (आईएसबीएडी) हर वर्ष 19 सितंबर को मनाया जाता है, जो कि 2018 में सर्प दंश - एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए शुरू हुआ था तथा जो विकासशील देशों में मुख्य रूप से ग्रामीण समुदायों के गरीब लोगों, विशेषकर कामकाजी आयु वर्ग के लोगों और बच्चों को प्रभावित करता है। डॉ गुलेरी ने बताया कि 19 सितंबर को मनाया जाने वाला आईएसबीएडी हमें सांप के काटने के खतरों के बारे में ही नहीं बल्कि सरीसृपों के बारे में भी अपनी गलत धारणाओं और मिथकों को दूर करने के लिए आमंत्रित करता है। इस अवसर पर जिला के मेडिकल आफ़िसर्ज व हेल्थकेयर वर्करज के लिए सर्पदंश उपचार प्रबंधन पर विशेष कार्यशाला का भी आयोजन किया गया । डॉ गुलेरी ने इस दिवस के व केवर्ष 2024 के थीम " सर्पदंश के कारण होने वाली विकलांगता " के बारे जानकारी देते हुए बताया कि सर्पदंश के कारण शारीरिक, तंत्रिका संबंधी, मनोवैज्ञानिक जैसी विकलांगताएं हो सकती हैं। डॉ गुलेरी ने कहा कि सर्पदंश के कारण होने वाली विकलांगताओं के बारे में बहुत कम रिपोर्ट की जाती है।
डॉ गुलेरी ने जानकारी देते हुए बताया कि सांप का काटना एक वैश्विक स्वास्थ्य चिंता का विषय है जो मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में ग्रामीण समुदायों को प्रभावित करता है जहां जहरीले सांप प्रचलित हैं। जिनके काटने से मृत्यु, विकलांगता और भारी पीड़ा हो सकती है। डॉ गुलेरी ने कहा कि चुनौती और भी स्पष्ट हो जाती है क्योंकि इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष होता है । इन ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों को स्थानीय साँप प्रजातियों, उनकी आदतों और आवासों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए। डॉ गुलेरी ने कहा कि साँप के काटने के बाद क्या होता है? इस बारे तत्काल कार्रवाई का मतलब जीवन और मृत्यु के बीच का अंतर हो सकता है। डॉ गुलेरी ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर चिकित्सा सुविधाओं तक त्वरित पहुँच की कमी होती है, जिससे समुदायों के लिए यह जानना महत्वपूर्ण हो जाता है कि कैसे प्रतिक्रिया दी जाए। डॉ गुलेरी ने कहा कि साँप के काटने के बारे में जागरूकता बढ़ाकर, हम मानव-साँप संघर्ष को कम कर सकते हैं और अपनी जैव विविधता की रक्षा कर सकते हैं। डॉ गुलेरी ने बताया कि विषैले सांप के काटने से चिकित्सा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं जो घातक हो सकती हैं या अगर समय पर और उचित उपचार न दिया जाए तो स्थायी क्षति हो सकती है।
डॉ गुलेरी ने कहा कि सुरक्षित और प्रभावी एंटीवेनम की तुरंत उपलब्धता, समय पर रेफरल से सांप के काटने से होने वाली अधिकांश मौतों और भयावह परिणामों से बचा जा सकता है। डॉ गुलेरी ने जानकारी देते हिई बताया कि भारत में, हर साल लगभग 3 से 4 मिलियन सर्पदंश से लगभग 50,000 मौतें होती हैं, जो वैश्विक सर्पदंश से संबंधित मौतों का लगभग आधा हिस्सा है। जबकि विभिन्न देशों में सर्पदंश के शिकार लोगों का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही क्लीनिक और अस्पतालों में रिपोर्ट करता है और सर्पदंश के वास्तविक बोझ की बहुत कम रिपोर्टिंग की जाती है। डॉ गुलेरी ने बताया कि सामान्य क्रेट, भारतीय कोबरा, रसेल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर सहित "बड़ी चार" साँप प्रजातियाँ लगभग 90% सर्पदंश घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं। कोबरा, रसेल वाइपर, सामान्य क्रेट और सॉ-स्केल्ड वाइपर के खिलाफ एंटीबॉडी युक्त पॉलीवेलेंट एंटी-स्नेक वेनम (ASV) का प्रशासन 80% सर्पदंश मामलों में प्रभावी है।हालाँकि, सर्पदंश रोगियों के इलाज के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी चिंता का विषय बनी हुई है। डॉ गुलेरी ने बताया कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से सभी राज्यों में सर्पदंश रोकथाम और नियंत्रण गतिविधियों को लागू कर रही है। सर्पदंश विषहरण के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीएसई) भारत में सर्पदंश विषहरण के प्रबंधन, रोकथाम और नियंत्रण के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करती है।
इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ तरुण सूद ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि साँप के काटने के लक्षणों में मुख्य रूप से अंग की लगातार दर्दनाक सूजन (वाइपर बाइट), न्यूरोपैरालिटिक लक्षण जैसे कि ptosis (पलकों का झुकना), दोहरी दृष्टि, बोलने में कठिनाई, आवाज में कर्कशता, सांस लेने में कठिनाई और निगलने में कठिनाई (कोबरा, क्रेट बाइट), वैस्कुलोटॉक्सिक लक्षण जैसे कि रक्तस्राव, ऊतक परिगलन, गुर्दे की चोट (रसेल वाइपर /सॉ-स्केल्ड वाइपर), मायोटॉक्सिक लक्षण जैसे कि मांसपेशियों में दर्द (समुद्री साँप) या पेट में गंभीर दर्द और उल्टी (क्रेट बाइट) शामिल हैं। इनमें से किसी भी नए लक्षण के सामने आने पर डॉक्टर को सूचित करें तथा तुरंत चिकित्सीय सहायता लें। डॉ तरुण ने कहा कि यदि आवश्यक हो तो सहायता प्राप्त करने के लिए सहारे के साथ चलें (दौड़ने की कोशिश न करें) । रोगी को एम्बुलेंस (टोल फ्री नंबर 102/108, आदि) या परिवहन के किसी अन्य उपयुक्त साधन द्वारा यथाशीघ्र, सुरक्षित और निष्क्रिय रूप से सुसज्जित चिकित्सा देखभाल सुविधा तक पहुँचाने की व्यवस्था करें। • रोगी को शांत रखें। पीड़ित को आश्वस्त करें कि ए एस वी एस के साथ प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है।• घाव वाले क्षेत्र (काटने के निशान) को खुला छोड़ देंI • प्रभावित हिस्से की हरकत को सीमित करने के लिए एक स्लिंग (जैसे फ्रैक्चर में होता है) के साथ अंग को स्थिर करें तथा एक ढीली पट्टी के साथ, रक्त की आपूर्ति को बाधित नहीं करना चाहिए।
विष के प्रवाह को कम करने के लिए प्रभावित क्षेत्र को हृदय के स्तर से नीचे रखें । जानकारी देते हुए ज़िला कार्यक्रम अधिकारी डॉ तरुण सूद बताया कि पारंपरिक उपचार (काले पत्थर, मणि ) और वैकल्पिक चिकित्सा/हर्बल थेरेपी के साथ समय बर्बाद न करें क्योंकि ऐसे उपचार में कोई महत्व नहीं है वहीँ ऐसे में उपचार में देरी से जोखिम बढ़ता है । सर्पदंश पीड़ित को बहुत अधिक थका हुआ या घबराया हुआ न होने दें। ऐसे में भागें नहीं । क्योंकि इससे शरीर में सांप का जहर फैलने की गति बढ़ जाएगीI •घाव को न धोएँ या घाव में हस्तक्षेप न करें (रगड़कर, जोर से साफ करके, मालिश करके, काटकर, टांके लगाकर, चूसकर, गोदकर, जड़ी-बूटी या रसायन लगाकर) क्योंकि इससे जहर का अवशोषण बढ़ सकता है और स्थानीय रक्तस्राव या संक्रमण बढ़ सकता हैI • सांप के काटने वाली जगह पर टूर्निकेट या ठंडा सेंक न लगाएँI • जहर को चूसने या रेजर या चाकू से घाव को काटने की कोशिश न करें; इनसे संक्रमण और विष फैल सकता हैI • साँप को मारने या पकड़ने की कोशिश न करें क्योंकि यह खतरनाक है और साँप को खोजने में समय बर्बाद हो सकता है और दूसरे साँप के काटने का जोखिम भी हो सकता है।
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