इस मानसून सीजन में हुई इतने लोगों की मौ...... त
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश में इस साल भी मानसून ने कहर बरपाया है। राज्य के कई हिस्सों में भारी तबाही हुई है। प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार, इस मानसून सीजन में भूस्खलन, बाढ़ और बादल फटने से 64 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 30 लोग अभी भी लापता हैं।
मौसम और अन्य हादसों में अब तक 271 लोगों की जान चली गई है, जबकि 423 लोग घायल हुए हैं।प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की प्रारंभिक डैमेज रिपोर्ट के अनुसार 23 की मौत बादल फटने से, 26 की बाढ़ के बाद डूबने व बहने से, छह लोगों की मौत भूस्खलन, आठ की बाढ़ के कारण और एक की बिजली गिरने से हुई है। इसके अलावा 25 की मौत सर्पदंश, 15 की मौत बिजली के झटके और 38 की मौत गिरने से हुई है। 120 लोगों की जान बारिश के दौरान सड़क हादसों और 9 की जान अलग कारणों से गई है।
प्रदेश में करीब 1265 करोड़ रुपये के नुकसान का आकलन किया गया है। प्रदेश में बादल फटने और बाढ़ के 51 हादसे हुए हैं। इसके अलावा बड़े भूस्खलन की 40 घटनाएं दर्ज की गई हैं। प्रदेश में भारी बारिश के कारण रिस्पा नाला, किन्नौर में बाढ़ आई। सरेही नाला, पलचान नाला, हकड़ी, रामपुर, समेज, सिंहगढ़, पाढर, मंडी और कुल्लू-मनाली-लेह राजमार्ग के पास बादल फटे हैं, जिससे अप्रत्याशित नुकसान हुआ है। प्रदेश में अब तक 1,265 करोड़ रुपये की अनुमानित को देखते हुए राज्य सरकार ने केंद्र से विशेष राहत पैकेज की मांग की है। प्रदेश सरकार ने अभी तक 10 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता लोगों तक पहुंचाई है। मानसून के दौरान 30 लोग लापता हो गए हैं और कई परिवार बेघर हो गए हैं। राज्य में भारी बारिश के कारण 176 घर पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं और 483 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं।
प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार 6500 पक्षियों और 311 जानवरों की जान चली गई है। 58 दुकानों और 466 गोशालाओं को भी भारी क्षति पहुंची है। प्राकृतिक आपदाओं से 149 गायों की भी मौत हो गई है।मानसून की विनाशलीला ने राज्य के बुनियादी ढांचे को बुरी तरह प्रभावित किया है। प्रदेश में 14 पुल पूरी तरह बह गए हैं और 13 पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं। बारिश से जलशक्ति विभाग की 5,082 परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं, जिनमें से 4,801 को अस्थायी रूप से बहाल किया गया है। 281 जल आपूर्ति योजनाएं बर्बाद हो गई हैं। कृषि क्षेत्र में 2,034 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है, जिसमें से 792 हेक्टेयर की फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं। बारिश के कारण 92 हेक्टेयर क्षेत्र की खेतों की मिट्टी पूरी तरह बह गई है, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है।
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