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अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही नंबरदार प्रथा जल्द हो सकती है खत्म

                                  इस प्रथा को खत्म करने के लिए प्रदेश सरकार ने कदम आगे बढ़ाए

काँगड़ा,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश में अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही नंबरदार प्रथा जल्द खत्म हो सकती है। इस प्रथा को खत्म करने के लिए प्रदेश सरकार ने कदम आगे बढ़ाए हैं। भू-अभिलेख विभाग की ओर से जिलों से वहां तैनात नंबरदारों की स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है।  

यह निर्देश भू-अखिलेख विभाग के पास मंडी निवासी की ओर से नंबरदार प्रथा को खत्म करने संबंधी पहुंची शिकायत के बाद दिए गए हैं।  जानकारी के अनुसार हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला निवासी एक व्यक्ति ने प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर उनसे राजस्व विभाग में नंबरदार प्रथा को खत्म करने को लेकर पत्र लिखा है। इसके अलावा उन्होंने इस पत्र में कई अन्य टिप्पणियां भी की हैं। पत्र में उन्होंने सरकार को अवगत करवाया था कि नंबरदार प्रथा का वर्तमान में कोई औचित्य नहीं रह गया है, क्योंकि आज कल कोई भी नंबरदार हिमाचल प्रदेश भू-अभिलेख नियमावली-4 में नंबरदारों के वर्णित कर्त्तव्यों और दायित्वों का निवर्हन नहीं कर रहा है।

 वह न तो संबंधित गांव में जाकर राजस्व एकत्रित करता है और न ही सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण करने और गांव के लोगों से संबंधित जानकारी राजस्व अधिकारी को उपलब्ध करवा रहा है। वहीं, उन्होंने तर्क दिया है कि वंश के आधार पर चलने वाली यह नंबरदारी प्रथा आज के दौर में पूर्ण रूप से गलत है और इसे तुरंत ही समाप्त किया जाना चाहिए।वहीं, दूसरी ओर मंडी निवासी के पत्र पर गौर करते हुए अतिरिक्त निदेशक भू-अखिलेख हिमाचल प्रदेश ने सभी जिलों से इस मामले को लेकर पत्र लिखा है, ताकि उनकी स्थिति और उनके की ओर से किए जा रहे कार्यों का पता चलाया जा सके। इस संदर्भ में अतिरिक्त निदेशक भू-अभिलेख हिमाचल प्रदेश की ओर से सभी जिलों को नंबरदारों और उनके कार्यों के बारे में स्थिति स्पष्ट करने को पत्र लिखा गया है।

उल्लेखनीय है कि अंग्रेजों के जमाने से ही नंबरदारों की नियुक्ति होती आ रही हैं। अंग्रेजी शासन व्यवस्था में सरकार के पास नंबरदार ही एक ऐसा व्यक्ति गांवों में होता था, जिसके जरिये सभी प्रकार के प्रशासनिक कार्य किए जाते थे। यह व्यवस्था अब तक तक चली आ रही है। इनकी ओर से दी गई गवाही उच्चतम न्यायालय में भी मान्य होती है। तसदीक के अलग ही मायने हैं। कोई भी सरकारी प्रमाणपत्र बनवाने के लिए सरपंच की गैर हाजिरी में नंबरदार की ओर से दरखास्त का सत्यापन किया जाता है।





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