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अस्पताल टांडा की सुरक्षा व्यवस्था केवल आउटसोर्स सुरक्षा कर्मचारियों के हवाले

                                                 टांडा में अंधेरे कर रहा सुरक्षा व्यवस्था को बीमार

काँगड़ा,ब्यूरो रिपोर्ट 

 प्रदेश के दूसरे बड़े मेडिकल कॉलेज और अस्पताल टांडा की सुरक्षा व्यवस्था केवल आउटसोर्स सुरक्षा कर्मचारियों के हवाले है। वहीं, सीसीटीवी कैमरे न होने से मरीजों, अस्पताल के चिकित्सकों और अन्य स्टाफ के लिए खतरा बना हुआ है। 

टांडा मेडिकल कॉलेज के मुख्य द्वार से लेकर आपातकालीन वार्ड और अन्य रास्तों पर न तो कोई सीसीटीवी कैमरा है और न ही रात के समय पर्याप्त लाइटों की व्यवस्था है। रात के समय पूरे कॉलेज परिसर में अंधेरा पसरा रहता है, जिससे कोई भी अप्रिय घटना घटित हो सकती है। मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा व्यवस्था कमजोर होने से अस्पताल प्रशासन पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। मेडिकल स्टोर वाले रास्तों पर हमेशा अंधेरा रहता है और वहां कोई सुरक्षा व्यवस्था भी नहीं है।एक तरफ, टांडा मेडिकल कॉलेज में पिछले चार-पांच दिनों से चिकित्सक, स्टाफ नर्सें और पैरा मेडिकल स्टाफ कोलकाता में प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और मौत मामले में जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई को लेकर हड़ताल कर रहे हैं।


लेकिन, टांडा में सुरक्षा व्यवस्था कमजोर होने के कारण यहां भी खतरा बना हुआ है। अनदेखी के कारण यहां भी कोलकाता की तरह कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए अस्पताल प्रशासन को सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने होंगे।जानकारी के अनुसार, रोजाना टांडा में पांच हजार से अधिक मरीज अपने उपचार के लिए आते हैं। दिन-रात मरीजों और तीमारदारों की आवाजाही बनी रहती है। ऐसे में मेडिकल कॉलेज के अंदर सीसीटीवी कैमरे न होने से हर कोई डर के साये में रहता है। टांडा के मुख्य द्वार से आपातकालीन वार्ड तक करीब डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क है। इसके अलावा कई अन्य सड़कें भी हैं जो विभिन्न भवनों को जाती हैं, लेकिन रात के समय वहां स्ट्रीट लाइटें न होने के कारण अंधेरे में सभी को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कोई घटना हो जाए तो किसी को पता भी नहीं चल पाएगा। 

वहीं, सीसीटीवी कैमरे न होने से भी किसी को वहां से भागने में आसानी होगी। रात के समय अस्पताल और आपातकालीन वार्ड में सुरक्षा कर्मचारी भी पर्याप्त मात्रा में नहीं होते हैं।सवाल यह है कि प्रदेश के दूसरे बड़े स्वास्थ्य संस्थान में सुरक्षा में इस तरह की चूक के कारण सरकार और अस्पताल प्रशासन पर प्रश्न चिह्न खड़े हो रहे हैं। अस्पताल प्रशासन को चाहिए कि रात के समय सड़कों पर उचित लाइटों की व्यवस्था की जाए और जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं।टांडा मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा केवल सिक्योरिटी गार्ड्स के कंधों पर है, लेकिन इसके बावजूद टांडा में चोरियों का सिलसिला जारी रहता है। करीब तीन-चार दिन पहले भी टांडा के शौचालयों में सुरक्षा कर्मचारियों ने नलों की टूटियां चोरी करने वाले को पकड़ा था, जो लंबे समय से टांडा से टूटियां चुरा रहा था।




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